महिलाओं को शिक्षित करने की आवश्यकता : श्रुति

बरेली । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में महिला सशक्तिकरण के लिए सामाजिक- तकनीकी नवाचार बंडलिंग (एस टी आई बी) के लर्निंग लैब पर एक कार्यशाला का आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान पर परामर्श समूह (सीजीआईएआर) और अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान तथा भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया।


इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती श्रुति गंगवार, अध्यक्ष अर्बन कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड, बरेली ने समाज में महिलाओं को शिक्षित करने की आवश्यकता बतायी उन्होंने कहा कि महिलाओं को समान अवसर प्राप्त होने चाहिये तथा उनमें निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिये। यह तभी हो सकता है। जब हमारी महिलाएं शिक्षित हों।

उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए हर क्षेत्र मेें चुनौती है लेकिन समाधान भी महिलायें निकाल सकती हैं। उन्होंने महिलाओं की आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए एक-साथ मिलकर कार्य करने तथा स्वंय सहायता समूह बनाकर कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने समाज के लोगों से भी आग्रह किया कि वे अपने घर की महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे।

उन्होंने बताया कि देश या राष्ट्र की समद्धि में महिलायें भी अपना योगदान दे रही हैं जरूरत है उनको प्रेरित करने की। इस अवसर पर उन्होंने सरकार द्वारा चलायी जा रही बेटी पढ़ाओे बेटी बचाओ, मुद्रा योजना तथा जनधन योजना के बारे में भी उपस्थित लोगों को जानकारी दी।


संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि यह कार्यशाला बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित हो रही है यह कार्यशाला अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्था के सहयोग से परियोजना के रूप में शुरू की गयी जिसका उद्देश्य महिलाओं की चुनौतियों तथा समस्याओं को ध्यान में रखकर प्रभावी रूप से कार्य करना था जिससे महिलाओं की आर्थिक उन्नति हो सके इसके साथ ही साथ वह आत्मनिर्भर हो सके। यह परियोजना हमारे कोलकाता परिसर में चलायी गयी तथा वहां इसमें सफलता मिली जिसको साझा करने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है जिससे हमारे देश के विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागी इससे ज्ञान लेकर अपने-अपने क्षेत्रों में प्रयोग में लायें।

डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि इसके लिए हमें समाज में लैंगिक समानता को दूर कर महिलाआंे को कृषि एवं पशुपालन से जुड़ी तकनीकियों की जानकारी देना होगा तभी हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं।
संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस वर्कशाप का उद्देश्य है कि कुछ सीखने की प्रयोगशाला की स्थापना की जाये जहां महिलाओं के उत्थान एवं नवाचार को बंडल किया जाये। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों मं महिलायें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं वह कृषि एवं पशुपालन में अपना सक्रिय योगदान दे रहें हैं। इसी प्रकार हम यदि महिलाओं का समूह बनाकर उनको जलवायु परिर्वतन तथा अन्य नवीन नवाचार से जुड़ी जानकारी दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट का सफल प्रयोग संस्थान के कोलकाता केन्द्र में किया जा चुका है जिसकी सफल गाथा आप लोगों के साथ साझा की जा रही है।


परियोजना प्रभारी डा. महेश चन्द्र ने परियोजना के कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जब भी नवाचार या तकनीकी का गावों में प्रचार प्रसार करना होता है तो अधिकांश पुरूष वर्ग को ही नवाचार के बारे में बताया जाता था जबकि महिलायें वंचित रह जाती थीं। इस परियोजना को पश्चिम बंगाल के 24 साउथ परगुना तथा 24 पश्चिम परगुना मंे लागू किया जिसके अन्तर्गत महिलाओं के बीच समूह बनाकर नवाचार का ज्ञान दिया गया तथा महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखकर उनकी आर्थिक उन्नति कृषि तथा मुर्गीपालन, बकरी पालन आदि क्षेत्रों में ज्ञान दिया गया। उन्हें विभिन्न एनजीओं के माध्यम से अपने उत्पादों को उचित मूल्य पर विक्रय करने आदि पर प्रशिक्षण दिया गया।


कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य लोगों का स्वागत संस्थान के प्रसार शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एच.आर. मीणा द्वारा किया गया जबकि कार्यक्रम का संचालन डा. श्रुति द्वारा किया गया इस अवसर पर संयुक्त निदेशक, शोध डा. एस.के. सिंह, संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डा. एस.के.मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक, कैडराड डा. सोहिनी डे सहित प्रसार शिक्षा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

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