हाय व्यवस्था: आठ महीने से बेटे की नौकरी की आस में धरने पर बैठा था किसान मगर थम गईं सांसें

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बरेली। एक किसान अपने बेटे की नौकरी आस में बीते करीब 8 महीने से धरने पर बैठा था और आखिरकार शनिवार सुबह उसकी सांसें थम गईं। लेकिन, उसकी ये आस हकीकत में तब्दील नहीं हो पाई।

बता दें कि अपनी जमीन गंवानें के बाद नौकरी की मांग को लेकर लंबे समय से जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई, वह धरने पर बैठे हैं। धरने पर बैठे एक किसान की इस दौरान हालत बिगड़ गई और उसे शनिवार अस्पताल लाया जाने लगा, तभी रास्ते में उसकी मौत हो गई। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले 11 दिसंबर 2021 से किसान धरने पर बैठे हैं। जिनकी जमीन को इफको प्रोजेक्ट के समय अधिग्रहण किया गया था। इफको प्रबंधन ने भूमि अधिग्रहण के समय किसानों को आश्वासन दिया था कि उन्हें नौकरी दी जाएगी।

इफको प्रोजेक्ट के दौरान 1132 किसानों की जमीन को अधिग्रहित किया गया था। लेकिन, प्रबंधन ने केवल 208 किसानों को नौकरी पर लगाया था, अन्य किसानों को उस समय संविदा पर लगाकर कुछ समय बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया था। जिसको लेकर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सभी किसान इफको गेट के पास धरने पर बैठे थे।

भमोरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नौगवां अहिरान गांव के 65 वर्षीय किसान जयसिंह भी धरने पर बैठे थे। शनिवार सुबह करीब 11.30 बजे उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें भमोरा सीएचसी ले जाया जाने लगा। डॉक्टरों ने उन्हें जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। रास्ते में जाते समय उनकी मौत हो गई। मृतक के परिवार में तीन बेटे और दो बेटियां हैं।

धरना स्थल पर मौजूद किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शिशुपाल सिंह के साथ ब्लॉक अध्यक्ष महाराज सिंह ने बताया कि उच्च पदाधिकारियों को घटना से अवगत करा दिया गया है। हम चाहेंगे इफको मृतक के पुत्र को नौकरी व मुआवजा दे। वही प्रदेश सरकार से भी मुआवजे की मांग करेंगे। आंवला एसडीएम ननहें राम ने बताया कि नियम अनुसार मृतक किसान के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।

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