इसलिए ‘भगवान’ का दर्जा देते हैं लोग ‘डॉक्टर्स’ को
उमेश लव, लव इंडिया, मुरादाबाद। यह एक ऐसे परिवार की कहानी है जिनका बेटा दुर्घटना में बुरी तरह जख्मी हो गया और डॉक्टर ने टांग काटने को कह दिया। इतना ही नहीं इस परिवार पर इलाज करने के लिए पैसे भी नहीं थे और फिर यह अपने बच्चे को घर लेकर चलने लगे तभी एक व्यक्ति ने ऐसे अस्पताल के बारे में बताया जहां मामूली पैसों में ही इलाज संभव था।
अल्फा हॉस्पिटल में व्हीलचेयर मोनू और अस्पताल संचालक डॉक्टर एन खान
जी हां। हम बात कर रहे हैं मुरादाबाद संभल रोड पर महमूदपुर माफी के ईसागढ़ रोड पर स्थित अल्फा हॉस्पिटल की और इस बच्चे का नाम है मोनू जो गांव गोपालपुर के मजदूर चंद्रपाल का बेटा है और लगभग सातवां पहले परीक्षा देने जाते वक्त सड़क हादसे का शिकार हो गया था। इस हादसे में मोनू की एक टांग लगभग बेकार सी हो गई थी परिजनों की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी।
सात माह से भारती मोनू इलाज के संबंध में जानकारी देते हुए
बावजूद इसके, उन्होंने संभल जिले के एक बड़े अस्पताल में दिखाए। यहां पर कई दिन भारती रहा लेकिन मोनू की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और उसकी टांग में पस पड़ गया। डॉक्टर ने टांग काटने के साथ-सा द ऑपरेशन के लिए मोटी रकम बताइए तो वह मोनू को घर लाने की तैयारी करने लगे। इसी दौरान एक ग्रामीण बेहद कम खर्चे में इलाज करने वाले अस्पताल का जिक्र किया तो परिजन अल्फा हॉस्पिटल ले आए।
उन्होंने डॉक्टर को अपनी स्थिति बताई और इलाज का आग्रह किया इस पर अस्पताल के संचालक डॉक्टर एन खान ने अपने हॉस्पिटल की डॉक्टर टीम से बातचीत की और भारती कर लिया। इसके बाद डॉक्टर अशरफ खान डॉक्टर विवेक प्रकाश डॉ तनवीर और डॉक्टर असलम खान आदि ने निशुल्क इलाज शुरू किया और एक के बाद एक तीन ऑपरेशन किया और मोनू की टांग को बचा लिया यह बात लगभग 7 महीने पहले की है मोनू अब बेहतर स्थिति में है और वाकर के सारे चल फिर रहा है।
इस संबंध में डॉक्टर खान कहते हैं कि जल्द ही मोनू का चौथा ऑपरेशन होगा और इसके बाद वह पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से चल फिर सकेगा। अस्पताल संचालक डॉक्टर खान बताते हैं मोनू को भरते हुए साथ महा हो गए लेकिन किसी तरह का कोई भी शुल्क नहीं लिया गया। सिर्फ दवा आदि ही परिजन लेते हैं जबकि यही ऑपरेशन किसी बड़े अस्पताल में हुए होते तो लगभग 3:50 लाख रुपए खर्च हो गए होते।