चेक बाउंस के मामले में भाजपा नेता गिरफ्तार, जेल जाने के बाद मिली जमानत

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लव इंडिया मुरादाबाद। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता को सिविल लाइन पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा। 2 दिन के बाद अदालत से इन्हें जमानत मिल गई। गिरफ्तारी चेक बाउंस के मामले में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत की गई थी। फिलहाल, नेताजी सिटी ऑटो रिक्शा एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं।

किशन लाल सिंह का फाइल फोटो

लगभग छह महीने पहले लव इंडिया नेशनल को एक वीडियो मिली थी जिसमें महानगर के कुछ ऑटो रिक्शा चालकों ने सिटी ऑटो रिक्शा वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष किशन लाल सिंह को अपने बीच बैठा रखा है और उनसे ऑटो रिक्शा के नाम पर ली गई रकम की स्टांप पेपर पर लिखवा रहे थे। आप छह माह पहले के इस वीडियो को देख भी सकते हैं और यह वीडियो नीचे है। बस आपको इस पर क्लिक करना है और उसे समय की वास्तविक स्थिति आपके सामने आ जाएगी। इस वीडियो में ऑटो रिक्शा चालक ऑटो दिलाने के साथ-साथ कई अन्य काम करने की एवज में दी गई रकम को लिखवाते हुए नजर आ रहे हैं और यह वीडियो एक बार फिर आपकी सेवा में वही अपलोड है।

इन्हीं किशन लाल सिंह को दो दिन पहले सिविल लाइन पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इन पर आरोप था कि इन्होंने दो लोगों को पांच चेक दिए और यह चेक बैंक में जमा करने के बाद बाउंस हो गए। इनमें चार चेक 50 हजार और एक चेक इस से अधिक की राशि का था। फिलहाल, अब राहत की बात यह है कि 2 दिन के बाद किशन लाल सिंह की अदालत से जमानत हो गई है। महानगर के वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश चंद्र ने जमानत की पुष्टि की है। बताया कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत पुलिस ने गिरफ्तारी की। चूंकि उपरोक्त धारा जमानती अपराध है। इसलिए अदालत ने जमानत मंजूर कर ली।

महापौर विनोद अग्रवाल के साथ किशन लाल सिंह

मालूम हो किशन लाल सिंह भारतीय जनता पार्टी के वर्षों पुराने कार्यकर्ता है और कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं उन्होंने मुरादाबाद नगर विधानसभा सीट के साथ-साथ मुरादाबाद नगर निगम के महापौर के चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी से टिकट के लिए दावेदारी की थी क्योंकि वह भाजपा विभिन्न पदों पर रह चुके हैं और एक पूर्व राष्ट्रपति के साथ उसे दौर में भी पार्टी के लिए काम कर चुके हैं जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में नहीं थी। इसके अलावा सिटी ऑटो रिक्शा वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और वर्तमान में सिटी ऑटो रिक्शा एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।

आईए जानते हैं चेक बाउंस हो जाना क्या वास्तव में अपराध है …

मालूम हो कि चेक बाउंस होना एक तरह का अपराध है और इसलिए चेक काटने से पहले अपना बैंक अकाउंट जरूर चेक कर लें। अगर आपके खाते में चेक पर डाली गई रकम से कम पैसा है तो आपका चेक बाउंस हो जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो उसके लिए कानून में कड़ी सजा का प्रावधान है।

चेक बाउंस का मतलब जाने

पैसों के लेन-देन में यदि कोई व्यक्ति बैंक में पेमेंट के लिए चेक देता है और पैसे वाले देनदार (Drawer) व्यक्ति के खाते में उतना पैसा जमा न हो या किसी अन्य गलती के चलते ये चेक रद्द हो जाए तो उसे चेक बाउंस या चेक डिस-ऑनर कहते हैं।

चेक बाउंस के बाद 30 दिन के भीतर

चेक बाउंस के बाद पीड़ित को देनदार को 30 दिन के भीतर एक नोटिस सर्व करना होता है। यदि वह इस नोटिस का जवाब 15 दिन में नहीं देता तो पीड़ित उसके खिलाफ कोर्ट केस कर सकता है।

सजा होने पर कैसे करें अपील?

चूंकि चेक बाउंस का अपराध 7 वर्ष से कम की सज़ा का अपराध है इसलिए इसे जमानती अपराध बनाया गया है. इसके अंतर्गत चलने वाले केस में अंतिम फैसले तक आरोपी को जेल नहीं होती है. आरोपी के पास अधिकार होते हैं कि वह आखिरी निर्णय तक जेल जाने से बच सकता है।

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 कार्रवाई

कोर्ट, शिकायत मिलने के बाद संबंधित दस्तावेज़ों के साथ मामला शुरू करेगी। अगर भुगतानकर्ता दोषी पाया जाता है, तो उसे नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के अनुसार, दो साल तक की सज़ा / या चेक राशि का दोगुना जुर्माना देना होगा। इसके अलावा, बैंकों को यह भी अधिकार है कि वे दोषी व्यक्ति के अकाउंट को (बार–बार बाउंस चेक अपराध पर) बंद कर सकते हैं या अपनी बुक सुविधा बंद कर सकते हैं। बैंक भुगतानकर्ता और प्राप्तकर्ता दोनों पर असुविधा, अतिरिक्त कागज़ी कार्यवाही और बैंक के समय को बर्बाद करने के लिए जुर्माना लगा सकता है।

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