मासिक शिवरात्रि आज: चारों प्रहर की पूजा करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण करते भगवान शिव शंकर

India Uttar Pradesh Uttarakhand तीज-त्यौहार

हिंदू धर्म में पति की लंबी आयु, बच्चे के अच्छे स्वास्थ के लिए कई व्रत किए जाते हैं लेकिन एक ऐसा व्रत है जिसके प्रभाव से पूरे परिवार का कल्याण होता है। वह है मासिक शिवरात्रि। शिव की प्रित तिथि है मासिक शिवरात्रि जो हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है। इस दिन व्रत रखकर रात में चार प्रहर में संहार के देवता अविनाशी भगवान शंकर और जगत जननी मां पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो चारों प्रहर की पूजा संपन्न करता शिव उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि इस बार खास मानी जा रही है। मार्गशीर्ष माह में शिव को प्रसन्न करने के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत 22 नवंबर 2022 को रखा जाएगा। इस दिन भोलेभंडारी की विधि विधान से पूजा करने पर असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

===अगहन शिवरात्रि का मुहूर्त===

हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 22 नवंबर 2022 को सुबह 08 बजकर 49 मिनट से लग रही है। चतुर्दशी तिथि का समापन 23 नवंबर 2022 को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर होगा।शिव पूजा का मुहूर्त – रात 11 बजकर 47 – प्रात: 12 बजकर 40

===अगहन शिवरात्रि के शुभ योग ===

इस बार मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि के दिन शोभन और सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है जो इस दिन को खास बना रहा है। इस योग में पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। मान्यता है कि कुंवारे लोग इस दिन का व्रत रखें तो उन्हें इच्छानुसार जीवनसाथी मिलता है और शादीशुदा लोगों के जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।

सौभाग्य योग – 21 नवंबर 2022, रात 09 बजकर 07 मिनट।- 22 नवंबर 2022, शाम 06 बजकर 38 मिनट।शोभन योग – 22 नंवबर 2022, शाम 06 बजकर 38 मिनट। – 23 नवंबर 2022 दोपहर 03 बजकर 40 मिनट।

===मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि ====

मासिक शिवरात्रि व्रत यदि रखना चाहते हैं तो इस व्रत को किसी भी दिन शुरू नहीं कर सकते हैं। मासिक शिवरात्रि व्रत का प्रारम्भ महाशिवरात्रि के दिन से किया जाता है। इस व्रत को कोई भी कर सकते है। इस व्रत में श्रद्धालुओं को रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए।

1- मासिक शिवरात्रि वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें।

2- मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें।

3- शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें।

4- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ़ किये होने चाहिए।

5- भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें।

6- शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें।

7- शाम के समय आप फलहार कर सकते हैं। उपासक को अन्न ग्रहण नही करना चाहिए।

8- अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें।

===मासिक शिवरात्रि की पौराणिक कथा ===

पौराणिक कथा और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव महाशिवरात्रि पर मध्य रात्रि के समय शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। जिसके बाद सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने उनकी पूजा की थी। उस दिन से लेकर आज तक इस दिन को भगवान शिव के जन्म दिवस के रूप में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन शिव पूजन का खास महत्व है। शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन के उद्धार के लिए माता लक्ष्मीं, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती तथा रति जैसी बहुत-सी देवियों और रानियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि जीवन में सुख और शांति प्रदान करता है और भगवान शिव की कृपा दृष्टि से उपासक के सारे बिगड़े काम बन जाते है।

सौजन्य: राजेन्द्र गुप्ता,ज्योतिषी और हस्तरेखाविद अखिल भारतीय सनातन धर्म सेवा समिति राम अवतार जायसवाल ऊँ ज्वेलर्स कलार गली फतेहपुर सीकरी आगरा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *