HWC रोगियों के लिए मुफीद नहीं, योगी सरकार का करोड़ों रुपया बर्बाद
बिजनौर। तमाम कोशिशों के बावजूद भी जनपद बिजनौर के ग्रामीण क्षेत्रो में बने हेल्थ एंड वैलनेस सेंटरो (एच डब्ल्यू सी) पर रोगियों को देखने के लिए कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सी एच ओ) की नियुक्ति नहीं की जा रही है। जिसके चलते इन सेंटरो पर से रोगियों को दवा के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की जांच की सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो रही है।
यूं तो जनपद बिजनौर के स्वास्थ्य विभाग में काफी लंबे समय से चिकित्सकों की कमी चल रही है। और ग्रामीण क्षेत्रों में बने स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं ब्लॉक मुख्यालय पर भी चिकित्सकों की भारी कमी है। सरकार ने लोगों को उनके घर के पास ही उपचार दिलाने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों में उप केंद्र तथा वर्तमान में हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर बनाए थे। इन सैंटरो पर से कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसरो को तैनात करते हुए रोगियों की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन जनपद बिजनौर के समस्त ब्लॉक क्षेत्रों एवं विभिन्न ग्राम पंचायतों में स्थित 45उप केंद्रों में से मात्र 38 उपकेंद्र ही सक्रिय हैं। इनमें से 35उप केंद्र स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्मित भवनों में संचालित हैं जबकि 10 उप केंद्र किराए के भवन में संचालित किए जा रहे हैं।
उप केंद्रों से आयुष्मान कार्ड धारकों को स्वास्थ्य संबंधित कार्य के साथ-साथ खून की जांच, एचआईवी की जांच, प्रेगनेंसी टेस्ट तथा रक्तचाप की जांच की सुविधाएं भी उपलब्ध कराने के सख्त निर्देश हैं। लेकिन इस तरह की सुविधाएं किसी भी स्वास्थ्य केंद्र से नहीं मिल पा रही हैं। जबकि केंद्रों पर उपस्थित रहकर सी एच ओ लगभग 56 प्रकार की दवाएं मरीजों को दे सकते हैं। लेकिन हालात इतने बदतर हैं कि कुछ स्वास्थ्य उप केंद्रों पर तो चिकित्सक है ही नहीं और जिन पर तैनात हैं वह मरीजों को दवाई देने में आनाकानी करते हैं तथा दवाइयां खराब हो जाने पर उनको जला डालते हैं अथवा कूड़े में फेंक देते हैं।
कुल मिलाकर जनपद बिजनौर में प्रदेश एवं केंद्र सरकार की मंशा के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में बने हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर (एच डब्ल्यू सी) रोगियों के लिए मुफीद नहीं है। और वह सफेद हाथी बने हुए हैं। जबकि ब्लॉक मुख्यालयों पर स्वास्थ्य उप केंद्र वर्तमान में धूल चाट रहे हैं और सरकार का करोड़ों रुपया इनमें बर्बाद हो गया है।