UP: शहरों में अवैध प्लाटिंग, मकान और फ्लैट बेचने वाले बिल्डरों पर शिकंजा कसेगा
लखनऊ। शहरों में अवैध प्लाटिंग, मकान व फ्लैट बेचने वाले बिल्डरों पर शिकंजा कसेगा। बिल्डरों को आवासीय योजना का विज्ञापन में इस बात की जानकारी देनी होगी कि कितनी जमीन पर योजना आ रही है। इसके साथ ही उस पर रेरा पंजीकरण नंबर और वेबसाइट के बारे में भी पूरा विवरण देना होगा। इससे खरीददार को योजना की पूरी हकीकत मालूम हो सकेगी और उसे निवेश करने में आसानी होगी। विशेष सचिव आवास राकेश कुमार मिश्रा ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। इसके साथ ही विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद को यह निर्देश दिया गया है।
विशेष सचिव आवास की ओर से जारी शासनादेश कहा गया है कि रियल स्टेट परियोजनाओं के प्रमोशन, मार्केटिंग और विक्रय के लिए बिल्डर की ओर से दिए जाने वाले विज्ञापनों का मानक तय कर दिया गया है। रेरा अधिनियम केआधार पर बिल्डर और रियल स्टेट एजेंट्स द्वारा भू-संपदा परियोजनाओं के तहत विक्रय के लिए विज्ञापन व विवरण पुस्तिका की सत्यता को सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।
इसलिए भविष्य में अब जो भी विज्ञापन बिल्डर द्वारा निकाला जाएगा या इसके लिए बोशर्स छपवाया जाएगा, उसमें रेरा पंजीकरण के साथ वेबसाइट के बारे में जानकारी देना अनिवार्य होगाप्राधिकरणों को जारी किये आदेश में कहा गया है कि इस शासनादेश का सख्ती से पालन कराया जाए, जिससे खरीददारों के साथ धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाए। राज्य सरकार ने रियल स्टेट परियोजनाएं लाने वालों के लिए रेरा में पंजीकरण कराना अनिवार्य कर रखा है।
पंजीकरण के समय ही योजना के बारे में पूरी जानकारी देनी होती है।रेरा इसे अपनी वेबसाइट पर डालता है, जिससे खरीददार रेरा में पंजीकरण के आधार पर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें। परियोजना स्थल पर जो होर्डिंग्स लगवाई जाएगी या फिर शहरों में इसको लेकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा, उसमें भी इसकी जानकारी देना जरूरी होगा।
इसके अलावा विभिन्न हित धारकों, यथा प्रोमोटर्स, होम बायर्स और प्रोफेशनल द्वारा इस संबंध में समग्र दिशा-निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया जा रहा है। सभी प्रकार के ऑडियो विजुअल माध्यमों जैसे कि रेडियो, टीवी, कामर्शियल वीडियो क्लिप्स, मीडिया स्ट्रीमिंग, डिजिटल मीडिया कांटेंट आदि पर प्रचार-प्रसार कराने पर भी इसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा।