सूफी इस्लामिक बोर्ड ने कहा-बाहरी और आंतरिक रूप से कट्टरपंथी कारकों पर नजर रखे विदेश और गृह मंत्रालय
लव इंडिया, मुरादाबाद । हाल ही में पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद स० पर विवादित टिप्पणी करने पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को पार्टी ने 6 सालों के लिए निलंबित कर दिया था। नूपुर शर्मा पर हुए इस एक्शन के बाद ट्विटर पर संग्राम छिड़ गया है। कई लोग नूपुर शर्मा के समर्थन में खड़े हो गए हैं, वहीं कुछ लोग भाजपा द्वारा उठाए गए इस फैसले का समर्थन कर रहे हैें। साथ ही कई लोग भाजपा के नेतृत्व पर भी सवाल उठा रहे हैं और कहा जा रहा है कि अरब देशों के आगे झुककर इस निर्णय को लिया गया है। बता दें कि नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित करने पर कतर ने फैसले का स्वागत किया था। इसी बीच नूपुर शर्मा के पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद स०पर दिए बयान को लेकर इस्लामिक देशों ने भारत सरकार पर कार्रवाई और माफी की मांग की।
इसी बीच मामले में सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी ने अरब और इस्लामिक देशों को जमकर खरी खोटी सुनाई है। बता दें कि, एक टीवी डिबेट के दौरान नूपुर शर्मा ने ज्ञानवापी मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। इस दौरान नूपुर शर्मा ने पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद स० को लेकर एक बयान दिया था। उनके इस बयान को लेकर जमकर बवाल मचा हुआ है।नूपुर शर्मा मामले पर बोलते हुए सूफी इस्लामिक बोर्ड ने कहा कि भाजपा ने शर्मा और जिंदल को पार्टी से निलंबित और निष्कासित करके कार्रवाई की है, लेकिन उस व्यक्ति का क्या जिसने शर्मा को उकसाया था जिसके बाद उन्होंने अपना बयान दिया था। जिस व्यक्ति ने शर्मा को उत्तेजित किया था, वह दूसरे धर्म की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए समान रूप से जिम्मेदार है, वास्तव में वह पूरे विवाद के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। उसके विरुद्ध किसी समुदाय के नेता या प्रशासकों द्वारा क्या कार्रवाई की गई है? क्या उनमें से किसी में उस व्यक्ति को आईना दिखाने की हिम्मत होनी चाहिए कि आज की पूरी स्थिति के लिए वही जिम्मेदार है। मदनी जैसे लोगों ने भी 15 अप्रैल को इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस के रूप में मनाने का एक प्रस्ताव अपनाया है, जिस पर सूफी इस्लामिक बोर्ड ने 26 अप्रैल को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपत्ति जताई थी। ओआईसी में वहाबी/सलाफी विचारधारा के अनुयायियों का भी वर्चस्व है और हमारे राष्ट्र के प्रति उनके दृष्टिकोण में हमारे मुस्लिम जनता के कुछ अंश भी उनके स्वाभाविक सहयोगी हैं।
सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान का कहना है कि कतर जैसे देशों के पास इस मुद्दे पर बोलने का चेहरा नहीं है क्योंकि यह एक ऐसा देश है जिसने एम एफ हुसैन को राजनीतिक शरण दी है, जिन्होंने देवी दुर्गा के चित्रों को आपत्तिजनक स्थिति में चित्रित किया था। वास्तव में सभी ओ आई सी देशों के पास अपने देशों में सभी संस्कृतियों का शांतिपूर्ण अस्तित्व नहीं है। सूफी इस्लामिक बोर्ड विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से बाहरी और आंतरिक रूप से कट्टरपंथी कारकों पर नजर रखने की अपील करता है जो हमारे राष्ट्र के खिलाफ इस्लामोफोबिया के झूठे आख्यान के रूप में साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।