पुण्यतिथि पर वीरांगना फूलन देवी की संघर्ष गाथा बताई नई पीढ़ी को राजसंपा ने पटना में
लव इंडिया, पटना। 25 जुलाई को राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के प्रदेश कार्यालय में वीरांगना फूलन देवी का शहादत दिवस मनाया गया।
इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय उपेंद्र साहनी ने इनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा इनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव गोरहा के पुरवा गांव में एक निर्धन मल्लाह परिवार में हुआ था।
इनका जीवन काफी दुखदाई व्यतीत हुआ इनके पड़ोसी बेहमई गांव के कुछ ठाकुरों के द्वारा बंधक बनाकर दुष्कर्म किया गया इसी का बदला लेने के लिए फूलन देवी डाकू बन गए और 14 फरवरी 1981 को इसी का बदला लेने के लिए 22 ठाकुरों को एक साथ गोलियों से भून दिया उसके बाद फूलन देवी बैंडिट क्वीन के नाम से प्रचलित हो गई।
13 फरवरी 1983 को पुलिस को कुछ शर्तों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया मुलायम सिंह के सरकार ने 1994 में इनके सारे मुकदमे को वापस ले लिया। उसके बाद 1996 में मिर्जापुर से दो बार सांसद बनी 25 July 2001 को शमशेर सिंह राणा ने दिल्ली के सबसे सुरक्षित जगह में उनको गोलियों से छलनी कर दिया।
इस मौके पर संजय कुमार महतो , अमृत प्रेम, अतुल कुमार ,मंजूर आलम ,राकेश चौधरी, ओम प्रकाश पासवान, रामेश्वर पासवान, दुखन पासवान , उमेश महतो, रानी मेहता, बिंदु साहनी, मोहम्मद मैनुद्दीन मंसूरी, प्रेम नाथ मालाकार इत्यादि लोग उपस्थित थे।