पहली पुण्यतिथि पर जानिए पत्रकार दिनेश पवन के बारे में जिनकी रिपोर्टिंग पर कभी किसी ने नहीं उठाई उंगली

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दिनेश पवन

निर्भय सक्सेना,लव इंडिया। समय का चक्र कभी नहीं रुकता। और अब दिनेश पवन अनंत यात्रा पर गए हुए भी 11माह हो गए। कल ही उनके पुत्र राघव का फोन आया था कि सोमवार 7 नवंबर 2022 को पापा दिनेश पवन की बरसी है। तो पूरा बीता काल मस्तिष्क में फ्लैश बैक की तरह घूम गया। उनके साथ बिताए लगभग 30 वर्ष में रोज 10 से 12 घंटे का साथ की यादें पुन जहां में घूमने लगीं।

स्मरण रहे दिनेश पवन का 16 दिसम्बर 2021 को अचानक परलोक जाना उनके शुभचिंतकों के लिए काफी दुखदाई था । उस दिन पत्रकार नवीन सक्सेना की दुखद सूचना ने तो मुझे स्तब्ध कर दिया था । सोमवार को ही दिनेश पवन से उन के घर पर ही भेंट हुई थी। कह रहे थे कल दिल्ली जाना है। वहां से लौट कर तुम्हारे साथ ई एस आई सी हॉस्पिटल भी चलना है । आजकल नींद भी कम आ रही है परंतु दिल्ली में अब पवन जी ऐसी नींद में गए जहां जगाना अलका भाभी, पुत्र राघव, पुत्री डॉली, अमित पांडे भाई बल्ले या किसी को भी उनको जगाना संभव नहीं है। पवन जी अपनी पुत्री डाली की अमित पांडे से एवम पुत्र राघव का वह पूर्व में ही विवाह कर बड़ी जिम्मेदारी पूरी कर चुके थे। जो अब बाल बच्चेदार हैं।

बीते 40 वर्ष के लंबे परिचय में दिनेश पवन से लगभग 25 या 26 वर्ष हम दोनों लोगो ने दैनिक जागरण में दिन रात एक किया। कहीं जाना हो या डेस्क पर काम हो मिलकर ही सारी समस्या का निस्तारण करते थे। सरल स्वभाव, समय और अपने कार्य के पाबंद, जिद के पक्के, जो नहीं करना वह नहीं करना। संपर्क सूत्र इतने मजबूत की अपनी बीट की हर खबर पर उनकी पैनी नजर रहती थी। धार्मिक खबरों के लेखन में उनका सानी नहीं था। यही नहीं ज्योतिष के बारे में उनकी बात के लोग कायल थे। कुंडली दिखाने एवम समस्या निदान को लोग उनके घर पर इंतजार करते थे। कार्यालय की भागम भाग से भी वह कुंडली ज्योतिष के उत्तर देने को समय निकाल लेते थे और पूजन की विधि भी बताते थे। मित्रता धर्म निभाने में भी पीछे नही थे।

पत्रकार संगठन के कई कार्यक्रम में पवन जी मेरे साथ ओंकारेश्वर, मानेसर, इलाहाबाद, दिल्ली, आगरा, आदि कई जगह जाना हुआ। दिनेश जी और हमने परिवार के साथ बाबा महाकाल के भी दर्शन किए। बरेली में होने वाले राजनीतिक, धार्मिक, कल्चरल आदि के अधिकांश कार्यक्रमो में साथ ही रहते थे। एक ही स्कूटर पर चलकर हम लोग देर रात विवाह आदि में भी विलंब से ही शामिल हो पाते थे। सभी दुख दर्द में उनका कहना था कि सब ठीक ही होगा। पर अब उन्हें प्रभु के चरणों में गए भी लंबा समय बीत गया।

स्वर्गीय दिनेश चन्द्र शर्मा उर्फ दिनेश पवन जी ने भी बरेली में लंबे समय पत्रकारिता की थी जिसमें ‘दैनिक विश्व मानव’, ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’, ‘ दैनिक जागरण’, ‘दैनिक दो टूक’ में वह समाचार संपादक रहे थे। चौबे जी की गली निवासी पंडित श्रीकृष्ण शर्मा के पुत्र दिनेश पवन जी का जन्म बरेली में 4 अक्टूबर 1952 को हुआ तथा उनकी शिक्षा भी तिलक इंटर कालेज एवं बरेली कालेज में हुई थी। अपने पड़ौसी अनुराग दीपक के साथ ही वह पत्रकारिता क्षेत्र में आये और ‘दैनिक जागरण’ में लंबी पारी खेलकर वही से 2012 में रिटायर हुये थे। दैनिक जागरण में धर्म कर्म एवं शिक्षा, भाजपा की बीट को भी लंबे समय तक देखा जिसपर उनकी मजबूत पकड़ थी।

लंबे समय तक उनके धर्म पर लिखे आलेख समाचार /पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे। श्री दिनेश पवन की ज्योतिष पर भी अच्छी जानकारी थी। साथ ही नाटकों में रुचि के कारण ‘वीर हकीकत राय’ में विष्णु भगवान एवं पी.सी.आजाद जी के नाटक ‘गर्वनर राज’ में भी पुलिस कप्तान का भी अभिनय किया था।

श्री दिनेश पवन जी का कहना था कि वह नाटककार स्व. स्वराज्य पल्तानी चाचा के कारण ही अभिनय क्षेत्र में आये थे। श्री दिनेश पवन जी रिपोर्टिंग पर आज तक किसी ने उंगली नहीं उठाई। ‘दैनिक जागरण’ से सेवानिवृत्ति के बाद में वह दैनिक दो टूक के समाचार संपादक बनाये गये थे। अब तो केवल प्रभु से यही प्रार्थना है दिनेश पवन जी की पुण्य आत्मा का हमेशा ही अपने चरणों मे स्थान बनाए रखें।

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