जिन्हें महात्मा गांधी ने भारत के आधुनिक निर्माता और भारतीय क्रांति के जनक की उपाधि दी थी…?

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे अनेक महानायक हैं जिन्होंने राष्ट्र की बलि वेदी पर अपना सर्वस्व बलिदान कर अपने महान कार्यों से देश को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका निभाई है; ऐसे ही एक महान नेता हैं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक । बाल गंगाधर तिलक जी को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है।

बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, साल 1856 को भारत के रत्नागिरि नामक स्थान पर हुआ था, इनका पूरा नाम लोकमान्य श्री बाल गंगाधर तिलक था। तिलक का जन्म एक सुसंस्कृत, मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक था। श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक पहले रत्नागिरि में सहायक अध्यापक थे और फिर पूना तथा उसके बाद ठाणे में सहायक उप शैक्षिक निरीक्षक हो गए थे; वे अपने समय के अत्यंत लोकप्रिय शिक्षक थे ।

लोकमान्य तिलक के पिता श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक का सन 1872 ई. में निधन हो गया। प्रारम्भिक शिक्षा मराठी में प्राप्त करने के बाद गंगाधर को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने के लिए पूना भेजा गया; उन्होंने डेक्कन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की, उनका सार्वजनिक जीवन 1880 में एक शिक्षक और शिक्षक संस्था के संस्थापक के रूप में आरम्भ हुआ। इसके बाद केसरी और मराठा उनकी आवाज के पर्याय बन गए।भारत के वायसरॉय लॉर्ड कर्ज़न ने जब साल 1905 में बंगाल का विभाजन किया, तो तिलक ने बंगालियों द्वारा इस विभाजन को रद्द करने की मांग का ज़ोरदार समर्थन किया और ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार की वक़ालत की, जो जल्द ही एक देशव्यापी आंदोलन बन गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरम दल के लिए तिलक के विचार उग्र थे। नरम दल के लोग छोटे सुधारों के लिए सरकार के पास वफ़ादार प्रतिनिधिमंडल भेजने में विश्वास रखते थे।

तिलक का लक्ष्य स्वराज था, छोटे- मोटे सुधार नहीं और उन्होंने कांग्रेस को अपने उग्र विचारों को स्वीकार करने के लिए राज़ी करने का प्रयास किया, इस मामले पर साल 1907 में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में नरम दल के साथ उनका संघर्ष भी हुआ; साल 1908 में सरकार ने उन पर राजद्रोह का आरोप लगाकर मुकदमा चलाया। तिलक का मुकदमा मुहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा, परंतु तिलक को 6 वर्ष कैद की सजा सुना दी गई. तिलक को सजा काटने के लिए मांडले, बर्मा भेज दिया गया।अगर आज मुंबई में मनाये जाने वाले गणपति उतसव की बात करते हैं, तो यह वही उत्‍सव है जिसने अंग्रेजों के खिलाफ जनआंदोलन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी, उस वक्‍त जाति और संप्रदायों में बंटे समाज को एक बनाने के लिये इस गणेश उत्‍सव को मनाया गया था। इस उत्‍सव को मनाने में बाल गंगाधर तिलक ने अहम भूमिका निभाई थी, इसके साथ ही धीरे-धीरे यह उत्‍सव आजादी की एक मिसाल बन गया।

“स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” के नारे के साथ बाल गंगाधर तिलक ने इंडियन होमरूल लीग की स्थापना की, साल 1916 में मुहम्मद अली जिन्ना के साथ लखनऊ समझौता किया, जिसमें आज़ादी के लिए संघर्ष में हिन्दू- मुस्लिम एकता का प्रावधान था। बाल गंगाधर तिलक बाल विवाह के विरुद्ध थे उन्होंने अपने कई भाषणों में इस सामाजिक कुरीति की निंदा की, वह एक अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने मराठी में केसरी और अंग्रेज़ी में द मराठा के माध्यम से लोगों की राजनीतिक चेतना को जगाने का काम शुरू किया था।

बाल गंगाधर ने बंबई में अकाल और पुणे में प्लेग की बीमारी के दौरान देश में कई सामाजिक कार्य किए जिनकी वजह से लोग उन्हें आज भी याद करते हैं। 1 अगस्त, 1920 को मुंबई में लोकमान्य तिलक की मृत्यु हो गई। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता और भारतीय क्रांति के जनक की उपाधि दी।

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