कड़वा सच : चीन के कर्ज के कारण बर्बाद हुआ श्रीलंका

India International

आज भारत ने श्रीलंका की मदद के लिए 40,000 टन डीजल और 40,000 टन चावल भेजा है। पिछले ही दिनों भारत ने श्रीलंका को 500 मिलियन डॉलर की credit line दी थी fuel के लिए। उससे पहले भारत ने 1 बिलियन डॉलर की क्रेडिट line अलग से दी थी। कुलमिलाकर इस साल अभी तक भारत श्रीलंका को लगभग 2.4 बिलियन डॉलर की मदद कर चुका है।

आज श्रीलंका में अभूतपूर्व स्थिति है, और देश बर्बादी के कगार पर है। श्रीलंका के Foreign Reserve में मात्र 6,000 करोड़ रुपये बचे हैं, वहीं उन पर करीब 3.5 लाख करोड़ का कर्ज है…..ऐसे में पूरी दुनिया में एक भारत ही है जो मदद के लिए आगे आया है।उम्मीद है अगले कुछ महीनों में श्रीलंका में स्थिति सुधरेगी, वापस पहले जैसा होने में कई साल लग जाएंगे……वैसे तो श्रीलंका की समस्या के कई कारण है , लेकिन उसमे प्रमुख हैं।

1. बेवजह का कर्ज लेना, जो प्रोजेक्ट Feasible ही नही थे, Financially Viable नही थे, उसके लिए बिलियन डॉलर्स कर्ज ले कर लगा दिए।

2. Populist Financial निर्णय, सरकार ने जनता को खुश करने के लिए Income Tax में अप्रत्याशित कटौती की, जिससे सरकार का revenue घटता चला गया।

3. Earning के sources का diversification नही किया….tourism, चाय और रबड़ के एक्सपोर्ट पर आखिर देश कब तक चलता?

4. एकाएक दुनिया का पहला 100% Organic Farming वाला देश बनने का निर्णय किया, Chemical Fertilizers का import बन्द कर दिया…..इस निर्णय ने शुरू में बड़ी वाहवाही लूटी, लेकिन आज इसी की वजह से श्रीलंका में खाने पीने की किल्लत हो गयी, क्योंकि इस policy की वजह से एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन बहुत कम रह गया।

अब जो भी है, उम्मीद है कि श्रीलंका ने सबक तो ले ही लिया होगा, कि चाहे भूखे मर जाओ लेकिन चीन से कभी ना उधार लो और ना कभी कोई strategic deal करो। और इसी के साथ ये भी समझ गए होंगे कि Populist निर्णय ले कर कुछ समय तो जनता को खुश कर सकते हो, लेकिन Long Term sustain नही कर पाओगे। जिस जनता ने Tax कटौती द्वारा कुछ हजार या लाख रुपये बचाये होंगे…..उनकी सारी बचत आज दूध, ब्रेड, पेट्रोल खरीदने में निकल गयी होगी……. उम्मीद है मुफ्तखोर इस बात से सबक लेंगे।

श्रीलंका ने पिछले दिनों भारत सरकार को कई प्रोजेक्ट्स में भागीदार बनाया है, कई स्ट्रेटेजिक projects भारत को दिए हैं, और ऐसा लग रहा है कि धीरे धीरे चीन का प्रभुत्व श्रीलंका से कम हो रहा है।

कुछ ऐसा ही माहौल मालदीव और नेपाल का भी है। दोनों ही देशो में चीन के समर्थन से भारत विरोधी गतिविधियां चल रही थी…..लेकिन धीरे धीरे दोनों ही देशो को चीन की असलियत समझ आ गयी, और दोनों फिर से भारत की तरफ रुख कर रहे हैं। जहां मालदीव में भारत विरोधी प्रदर्शन करने को एक अपराध बना दिया गया है, वहीं नेपाल ने आज भारत के साथ कई agreement किये, जिसमे Rupay कार्ड को नेपाल में शुरू करना, UPI को वहां के banking system में integrate करने जैसे कदम हैं।

वहीं भारत ने पिछले दिनों बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ मिलकर BBIN agreement किया है, जिससे इन चारों देशो में बेहतर connectivity होगी, जिससे बेहतर business होगा, और Security भी improve होगी।

उम्मीद है बांग्लादेश भी जल्दी ही चीन के इरादों को समझेगा और उससे उचित दूरी बना लेगा। वहीं उत्तर में अफ़ग़ानिस्तान को अनाज और अन्य चीजें भेज कर भारत ने उसका Strategic इस्तेमाल करने का मन बना लिया है…..उसकी मदद से Durand Line, CPEC और बलोचिस्तान पर लगातार pressure बनाया जाता रहेगा।

इसके अलावा पूर्वी देशो, जैसे वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया, जापान और ताइवान के साथ भारत Aggressive सम्बंध बना कर चीन की ‘String Of Pearl’ नीति को तोड़ने के लिए ‘Necklace Of Diamond’ की नीति पर चल रहा है…….इसी के साथ QUAD भी है…..और बैलेंस बनाने के लिए रूस से मित्रता भी है।

कुलमिलाकर आप ये समझिये कि भारत ने जो पिछले 20 सालों में खोया था, अब वो वापस आ रहा है, और अब Next Level के लिए तैयारी चल रही है। आप पिछले कुछ हफ़्तों से भारतीय सरकार और विदेश मंत्रालय के रुख में आई aggressiveness को देखिए, इनके बयान, ट्वीट या interviews देखिए……Western देशों में एकाएक भारत को लेकर अजीब सा हाहाकार मचा हुआ है, रूस-यूक्रैन की लड़ाई हो रही है, लेकिन दुनिया भारत के दरबार मे हाजिरी लगा रही है…..क्यों???

अगले 5-7 साल में बहुत कुछ बदलने वाला है…..शायद जो स्थिति हम 2035-40 तक पाना चाहते थे, वो महत्व 2025 तक ही मिल जाये……POK और LAC सुलझेंगे, और दक्षिण एशिया की regional power के Tag को हटा कर भारत एक Global Giant बनने वाला है…..लिख कर रख लीजिए, अगले 5 साल…..आप अगर भारत मे हैं, तो समझिए दुनिया की सबसे ज्यादा Opportunities आपका इंतजार कर रही हैं।

सौजन्य से : झुमका बरेली का व्हाट्सएप ग्रुप से

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