कोविड-19 अलर्ट: कोरोना से दिमाग पर हो रहा बुरा असर

India Uncategorized लाइफस्टाइल

कोरोना वायरस महामारी ने शुरुआत से ही किस कदर दुनिया को परेशान किया है, ये बात शायद किसी को बताने ये समझाने की जरूरत नहीं है। नाजाने कितने लोगों की जान ये वायरस अब तक ले चुका है और रोजाना काफी संख्या में लोग इससे संक्रमित भी हो रहे हैं। मौजूदा समय में पूरी दुनिया में लगभग रोजाना 5 लाख से ज्यादा कोरोना केस सामने आ रहे हैं, जो हर किसी के लिए चिंता का विषय है। वहीं, पहले से संक्रमण की जबरदस्त मार झेल चुका चीन एक बार फिर से कोरोना की लहर का सामना कर रहा है। ऐसे में हर किसी के लिए ये चिंता का विषय है, क्योंकि कोरोना काफी खतरनाक वायरस है। इन सबके बीच कोरोना को लेकर ब्रिटेन का एक नया अध्ययन सामने आया है, जो बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि इसमें दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमण का असर व्यक्ति के दिमाग पर 20 साल तक बना रह सकता है। तो चलिए आपको इस अध्ययन के बारे में बताते हैं। आप अगली स्लाइड्स में इसके बारे में जान सकते हैं…
लंदन में हुए नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना से दिमाग पर बुरा असर हो रहा है
दरअसल, कोरोना पर हुए इस अध्ययन को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों की एक टीम ने किया है। ये अध्ययन हर किसी को चौंका रहा है, क्योंकि इसमें कई ऐसी बातें सामने जो आई हैं।
दरअसल, वैज्ञानिकों द्वारा किया गया ये अध्ययन बताता है कि कोरोना का असर 10 आईक्यू अंक खोने के बराबर है। वहीं, रिसर्च ये भी दावा करती है कि कोरोना संक्रमण एक स्थाई संज्ञानात्मक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। साथ ही इसमें दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमण का व्यक्ति के दिमाग पर 20 साल तक असर रह सकता है।
अध्ययन ये भी बताता है कि कोरोना संक्रमण एक स्थाई संज्ञानात्मक और मानसिक स्वास्थ्य यानी दिमागी समस्याओं का कारण भी बन सकता है। वहीं, कोरोना से संक्रमित मरीजों में संक्रमण के बाद भी नींद की दिक्कत, थकान होना, शब्दों को याद करने में दिक्कतें, चिंता और पोस्ट-टॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
लंदन में हुए नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना से दिमाग पर बुरा असर हो रहा है
वैज्ञानिकों ने कोरोना के 46 मरीजों के डाटा पर अध्ययन किया, जो अस्पताल में भर्ती थे। वहीं, इनमें से 16 कोरोना मरीजों को आईसीयू में रखा गया था। पहले इन मरीजों को मार्च से जुलाई 2020 तक अस्पताल में भर्ती किया गया और फिर संक्रमण के 6 महीने बाद इन पर कॉग्निट्रॉन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर टेस्ट कराए गए।
ये सभी टेस्ट, ध्यान, मेमोरी और तर्क, अवसाद और अन्य तनाव संबंधित विकारों जैसे मानसिक पहलुओं को मापने वाले थे। जो मरीज आईसीयू में भर्ती थे, उन पर कोरोना का ज्यादा असर देखा गया। अध्ययन के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के 6 महीने से ज्यादा समय के बाद भी प्रभावों का पता लगाया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *