धधक रही है भलस्वा लैंडफिल में आग : दिल्ली में ही समाधान

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दिल्ली देहात में एक कहावत है…कंधे पर छोरा, बगल में ढिंढोरा। यह लाइनें कूड़े के तीन पहाड़ों की बढ़ती ऊंचाई पर सटीक बैठती हैं। कूड़े के निपटान का तरीका दिल्ली बखूबी जानती है। सरकार और समाज दोनों स्तर पर इसका समाधान है। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) को अपना रत्तीभर भी कूड़ा लैंडफिल तक नहीं पहुंचाना पड़ता। कई कॉलोनियां भी शून्य कचरा मॉडल पर काम कर रही हैं। बावजूद, दिल्ली की हवा को खराब करता कूड़े का ढेर कम नहीं हो रहा है। वहीं, दिल्ली इससे पैदा होने वाली समस्याओं तले दबी है। हालिया मामला भलस्वा लैंडफिल साइट पर लगी आग का है, जिसे चार दिन बाद भी बुझाया नहीं जा सका है। दिल्ली से ही निकले समाधानों पर रोशनी डालती अमर उजाला संवाददाता विनोद डबास और किशन कुमार की खास रिपोर्ट…
एनडीएमसी : कूड़ा बना बचत का अवसर
एनडीएमसी ने कूड़े की समस्या का माकूल समाधान कर लिया है। परिषद के लिए कूड़ा समस्या के बजाय बचत का अवसर मुहैया करा रहा है। एनडीएमसी अपने इलाके से निकलने वाले हर तरह के कूड़े का निपटान करा रही है। दिल्ली के चारों सेनेटरी लैंडफिल में से किसी पर यहां से एक टोकरी कूड़ा भी नहीं भेजा जाता। इसकी जगह परिषद ने चाणक्यपुरी, गोल मार्केट व भारती नगर समेत चार-चार प्वाइंट तय किए हैं। यहीं पर नजदीकी इलाकों का सारा कूड़ा जमा किया जाता है। इसके बाद जैविक-अजैविक समेत हर तरह के कूड़े की अलग-अलग किया जाता है। जैविक कूड़ा खाद में तब्दील कर दिया जाता है। इस काम में विशेषज्ञ संस्थाएं मदद करती हैं। बाद में एनडीएमसी ही इसे सस्ती दरों पर खरीद लेती है, जबकि पहले महंगी दरों पर परिषद को खाद खरीदना पड़ता था। 10 रुपये प्रति किलो की जगह इसकी कीमत पांच रुपये बैठती है। वहीं, अन्य कचरे को प्रोसेसिंग यूनिट में भेज दिया जाता है। दूसरी तरफ एनडीएमसी इलाके के बड़े होटल और क्लब से निकलने वाले कचरे का स्थानीय स्तर ही निपटान होता है। इसकी जिम्मेदारी भी होटल व क्लब संचालकों की होती है। इनकी संख्या 29 है। मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली फूलमाला एवं पत्तियों का निपटान करने की योजना भी शुरू की जा रही है।
यहां हर दिन निकलता है 300 मीट्रिक टन कचरा
एनडीएमसी इलाके में हर दिन करीब 300 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। बावजूद इसके, पूरा इलाका ढलाव मुक्त बना रखा है। आवासीय कॉलोनियों व बाजारों से डोर-टू-डोर कूड़ा इकट्ठा होता है। इसके बाद इसे चारों प्वाइंट में से किसी एक पर भेज दिया जाता है। एनडीएमसी उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय का कहना है कि कूड़े का निपटान का बेहतर मॉडल एनडीएमसी ने दिया है। एक टोकरी कूड़ा भी यहां का किसी लैंडफिल साइट पर नहीं जाता। फिर भी, परिषद हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठी है। मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली फूलमाला व पत्तियों के रूप में पैदा होने से कूड़े के निपटान के लिए एक मशीन लगाने जा रहे हैं। कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर में लगाई जाने वाली इस मशीन के माध्यम सेे फूलमालाओं व पत्तियों से हवन सामग्री बनाई जाएगी। यहां आसपास के तमाम मंदिरों से फूलमाला और पत्तियां लाई जाएंगी।
यहां भी होता है शून्य कचरा मॉडल पर काम
निगम के अधिकारियों का कहना है कि नवजीन विहार, डिफेंस कॉलोनी, महारानी बाग, प्रशांत विहार, मयूर विहार फेज दो, ग्रेटर कैलाश, वेस्टेंड कॉलोनी-वसंत विहार, मेफेयर गार्डन-हौजखास, संतुष्टि अपार्टमेंट वसंत कुंज, सुंदर नगर, नीती बाग, साकेत एन ब्लॉक, साकेत जी ब्लॉक, एफ ब्लॉक साकेत में शून्य कचरा मॉडल पर काम होता है।
नजीर पेश कर रही हैं कई आवासीय कॉलोनियां
दिल्ली की कई आवासीय कॉलोनियों ने भी ऐसी नजीर पेश है, जिसके सहारे कूड़े के पहाड़ कल की तस्वीर साबित हो सकते हैं। यह कॉलोनियां शून्य कचरा मॉडल पर काम कर रही हैं। इनका कूड़ा लैंडफिल पर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती। आरडब्ल्यूए के बड़े संगठन यूनाइटेड रेजिडेंट ज्वाइंट एक्शन (ऊर्जा) के अध्यक्ष अतुल गोयल कहते हैं कि कॉलोनियां में पहले प्रकृति के हिसाब से कचरे की छंटाई होती है। इसके बाद इससे जैविक खाद समेत दूसरे सामान बनाए जाते हैं। सूखा कचरा पुनर्चक्रण के लिए प्लांट में भेज दिया जाता है।
मॉडल बेहद सामान्य है। सबसे पहले इलाके में जमा होने वाले कूड़े को घर-घर जाकर इकट्ठा किया जाता है। फिर, गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग किया जाता है। गीले कचरे में सब्जी व फलों को छिलके समेत अन्य कचरा शामिल होता है। इसे कंपोस्ट पिट में डालकर खाद बनाया जाता है। सूखे कचरे को इकट्ठा कर विशेषज्ञ संस्थाओं को सौंप दिया जाता है। कचरे से बनने वाले खाद को कॉलोनियों के पार्कों में ही इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पेड़-पौधे को अच्छा खाद मिल जाता है और कूड़ा भी लैंडफिल साइट तक नहीं पहुंचता है।
केस 01 : नवजीवन विहार
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम स्थित नवजीवन विहार में बीते साढ़े तीन साल से कूड़ा ढलाव घरों तक नहीं पहुंचा है। आरडब्ल्यूए की महासचिव रूबी मखीजा ने बताया कि करीब साढ़े तीन साल पहले कॉलोनी में गीला व सूखा कचरा अलग-अलग करने की योजना तैयार की थी। इसके लिए कई संस्थाओं का भी उन्हें सहयोग मिला। पहले लोगों से उनका कचरा लेना काफी मुश्किल था। इसके लिए नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। बाद में सभी इसके लिए तैयार हो गए। आज पूरे कचरे का स्थानीय स्तर पर निपटान होता है।
केस 02 : महारानी बाग
आरडब्ल्यूए की ओर से महारानी बाग को जीरो वेस्ट वार्ड बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत यहां अलग-अलग टीमों को गठन किया गया है, जिसमें तकनीकी टीम, डिजिटल ग्राफिक्स टीम, डोर-टू-डोर जैसी टीमें शामिल हैं। वार्ड में करीब सात से आठ कॉलोनियां हैं, जिनमें अलग-अलग टीमें पहुंच लोगों को जागरूक करने के साथ जीरो वेस्ट की दिशा में कदम उठाया जा रहा है।
भाजपा नेताओं पर मामला दर्ज करने की मांग
भलस्वा में आग लगने का मामला दिल्ली पुलिस तक पहुंच गया है। कई कॉलोनियों के लोगों ने पुलिस को शिकायत दी है कि इसकी जिम्मेदारी भाजपा नेताओं की है। मांग की है कि इनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। शिकायत में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर इकबाल सिंह, उप महापौर अर्चना दिलीप सिंह, निगम पार्षद और स्टैंडिंग कमेटी के उपाध्यक्ष विजय भगत सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। भलस्वा डेयरी थाना में शिकायत श्रद्धानंद कॉलोनी, राजीव नगर, कलंदर कॉलोनी, विश्वनाथ पुरी, वसंतदादा पाटिल नगर, भलस्वा जेजे कॉलोनी समेत दूसरी कॉलोनियों के लोगों ने दी है। शिकायत में कहा गया है कि भलस्वा लैंडफिल साइट पर लगभग आधी दिल्ली का कूड़ा डाला जाता है। इसकी जिम्मेदारी भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम की है।
उत्तरी निगम : भलस्वा लैंडफिल साइट
उत्तरी निगम से हर दिन 4500 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है।
लैंडफिल साइट पर 2200 मीट्रिक टन कूड़ा पहुंचता है।
ट्रॉमल मशीनों की संख्या 40 और हाई स्पीड मशीन चार हैं।
हाई स्पीड मशीन से 900 टन कूड़े का निपटान होता है। अन्य मशीनें 300 टन का निस्तारण करती हैं।
पूर्वी निगम : गाजीपुर लैंडफिल साइट
पूर्वी निगम में हर दिन 2600 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है।
करीब 20 ट्रामल मशीने काम कर रही हैं।
इनके माध्यम से 2400 टन पुराने कूड़े का निपटा होता है।
600 टन की बिजली संयंत्र में खपत होती है।
दक्षिणी निगम : ओखला लैंडफिल साइट
दक्षिणी निगम में रोजाना 3600 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है।
लैंडफिल साइट पर ट्रॉमल मशीनों की संख्या 25 है।
धूल एवं विध्वंस के तौर पर उत्पन्न होने वाला कचरा एक हजार मीट्रिक टन है।
लैंडफिल साइट पर ट्रॉमल मशीनों से कूड़े का निस्तारण करने की क्षमता दो हजार मीट्रिक टन।
धूूल एवं विध्वंस कचरे का निस्तारण करने की क्षमता 500 मीट्रिक टन।
चार दिन बाद भी धधक रही है भलस्वा लैंडफिल साइट
भलस्वा लैंडफिल साइट पर मंगलवार को लगी आग पर शुक्रवार को भी काबू नहीं पाया जा सका है। दमकल अधिकारियों का कहना है कि चार दिन से दमकल की पांच गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हुई हैं। गीला कूड़ा डालने का काम भी लगातार चल रहा है, लेकिन आग नहीं बुझी है।
अब तक 64 गाड़ियां आग बुझाने में लगाई जा चुकी हैं। हर छह घंटे पर पांच गाड़ियों को भेजा जा रहा है। एक तरफ आग बुझाने के बाद दूसरी तरफ आग फैल जाती है। आग की लपटों और धुएं की वजह से दमकल कर्मचारी काफी मशक्कत कर रहे हैं। दमकल अधिकारियों का कहना है कूड़े के इस पहाड़ के नीचे से ज्वलनशील गैस निकल रही है, जिसकी वजह से एक तरफ आग बुझाने के बाद दूसरी तरफ फैल जाती है।
आसपास के इलाके में धुएं के कारण हालात खराब होने लगे हैं। आग लगने के बाद यहां उठ रहे धुएं और आग की लपटों के कारण दमकल कर्मियों को आग बुझाने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। अधिकारियों ने कहा कि आग कब बुझेगी, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कर्मचारी मेहनत के साथ उस पर काबू करने का प्रयास कर रहे हैं।
उत्तरी निगम के आयुक्त को महिला आयोग ने भेजा समन
दिल्ली महिला आयोग भलस्वा लैंडफिल साइट पर आग लगने के मामले में सख्त हुआ है। आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने आग लगने पर जवाबदेही तय करने के लिए शुक्रवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त को समन जारी किया। दरअसल, आयोग को सूचना मिली थी कि आग के कारण क्षेत्र के निवासियों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मालीवाल ने भेजे समन में उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त से लैंडफिल को साफ करने के लिए अब तक उठाए गए कदमों के साथ-साथ पिछले 15 वर्षों में किए गए खर्च के बारे में जानकारी मांगी है। उन्होंने स्थानीय निवासियों की ओर से पिछले पांच वर्षों में लैंडफिल से संबंधित मुद्दों के बारे में दर्ज कराई गई सभी शिकायतों की प्रतियां और उन पर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट की भी मांग की है। इसके अलावा आयोग ने भारत-विदेश के मॉडलों का अध्ययन कर लैंडफिल से कूड़े के निपटान के लिए नगर निगम की ओर से किए गए उपायों और अध्ययनों के संबंध में भी सूचना मांगी है।

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