17 अतिपिछड़ी जातियों के एससी आरक्षण मुद्दे पर भाजपा सरकार की नीयत ठीक नहीं: लौटनराम निषाद
लखनऊ। उत्तर-प्रदेश की 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने और सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक आगे भी बरकरार रखे जाने की बात उच्च न्यायालय प्रयागराज खंडपीठ के न्यायाधीशों ने सुनवाई के दौरान कहा।ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने को लेकर चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश/ स्टे आर्डर को आगे बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश से ओबीसी की 17 जातियों को एससी सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक अभी बरकरार रहेगी। चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने ये आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2017 को 17 को ओबीसी जातियों को एससी सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगाई थी। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने पाया कि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पांच साल बाद भी जवाब दाखिल नहीं किया गया है, जिसको लेकर प्रयागराज हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को काउंटर एफीडेविट दाखिल करने का अंतिम मौका देते हुए मई माह में सुनवाई की तिथि निर्धारित की है। कोर्ट द्वारा स्टे आर्डर बढ़ाये जाने के बाद ओबीसी की केवट, मल्लाह, निषाद,कहार, कश्यप, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा गोडिया, मांझी और मछुआ जातियों को एससी सर्टिफिकेट अभी जारी नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने उत्तर प्रदेश सरकार से अतिपिछड़ी जातियों को एससी आरक्षण के सम्बंध में काउंटर एफिडेविट दाखिल करने की मांग किया है।उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार निषाद समाज के साथ वादाखिलाफी कर कर रही है। आरोप लगाया श्रीराम-निषादराज की मित्रता की बात करने वाली भाजपा सरकार ने निषादों का सारा अधिकार छीन लिया।उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार ने 22 दिसम्बर व 31 दिसम्बर,2017 को 17 अतिपिछड़ी जातियों को उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति में शामिल मझवार,बेलदार,तुरैहा, गोंड़,शिल्पकार व पासी तड़माली के साथ परिभाषित करने का शासनादेश जारी किया था। डॉ. भीमराव अंबेडकर पुस्तकालय एवं जनकल्याण समिति गोरखपुर ने याचिका दायर कर स्टे का आग्रह किया। न्यायालय ने शासनादेश को स्थगित कर दिया। इसमें राष्ट्रीय निषाद संघ(एनएएफ) व अन्य ने अपना पक्ष रखने के लिए पार्टी बना।29 मार्च,2018 को एन ए एफ के पैरोकार अधिवक्ता सुनील कुमार तिवारी ने मजबूती से अपना पक्ष मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष रखा,जिस पर न्यायालय ने अंतरिम निर्णय देते इन जातियों का प्रमाण पत्र बनाने का आदेश दिया और सरकार से अपना पक्ष काउंटर एफिडेविट के माध्यम से रखने को बोला,पर अभी तक योगी सरकार ने काउंटर एफिडेविट प्रस्तुत नहीं किया।