प्रेम, अहिंसा, दया धर्म के प्रेणता है अक्रूर जी: डॉ प्रशांत वार्ष्णेय

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लव इंडिया, संभल। शिक्षित समाज देश की तरक्की का एकमात्र रास्ता है। इसी प्रकार किसी भी वर्ग की तरक्की उसके शिक्षित सदस्यों ही निर्धारित करते हैं। वार्ष्णेय समाज आज एक शिक्षित समाज की श्रेणी आ चुका है जो देश के लिए एक गर्व का विषय है। श्री वार्ष्णेय सभा संभल द्वारा आयोजित अक्रूरजी जन्मोत्सव कार्यक्रम जिले अक्रूर जी के नाम पर विश्वविधालय खोलने की मांग की।


तीर्थ रोड सरायतरीन में शिव कुमार वार्ष्णेय के आवास पर श्री वार्ष्णेय सभा संभल द्वारा आयोजित अक्रूर जी जन्मोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जाने माने ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशान्त वार्ष्णेय ने कहा कि श्री अक्रूर जी पूर्ण ज्ञानी, दानवीर, तपस्वी थे, उनका स्थान एक महात्मा के समान था।

इसी कारण समाज में उन्हें ‘‘महाराज जी’’ की पदवी मिली हुई थी। उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि हर व्यक्ति उनकी बात का पालन करता था और उनका अनुयायी बन जाता था। श्री अक्रूर जी महाराज को केवल स्मरण करने से खुशहाली छा जाती है और सभी प्रकार के दुखों का निवारण होता है। इस तथ्य में कोई सन्देह नही है।

विशिष्ट अतिथि सुशील वार्ष्णेय भट्टे वालों ने कहा वृष्णि वंश में उत्पन्न हुये श्री अक्रूर जी महाराज के वँशजों ने जब व्यापार को अपनाया तो उसका प्रभाव सभी समाजों पर पड़ना निश्चित था। कालान्तर में इस समाज को ‘‘बारहसैनी’’ का नाम दिया गया।

इस कुल की शक्ति एवं कार्यक्षमता किसी भी सेना की शक्ति से अधिक मांपी गयी और इसीकारण कलयुग के प्रथम चरण में इस समाज को ‘‘वार्ष्णेय’’ शब्द से भी बोधित किया जाने लगा।

इस अवसर पर त्रिवेदीप्रकाश सर्राफ, महावीर प्रसाद,संतोष आर्य, परमानंद वार्ष्णेय, गिरिराज किशोर, प्रिय रत्न आर्य,पुनीत सर्राफ, विष्णु आर्य, त्रिभूवन सर्राफ,नितिन प्रकाश वार्ष्णेय, सोनू कुमार गुप्ता, सोनू कुमारगुप्ता, लवकुमार आर्य, गिरिराज, आदिति नवरत्न सर्राफ, मनीष सर्राफ, विशाल आर्य,दीपक सर्राफ, महिला सभा अध्यक्ष करुणा वार्ष्णेय, महेश्वरी वार्ष्णेय,आरती वार्ष्णेय आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता जगत आर्य व संचालन देवेंद्र वार्ष्णेय एडवोकेट ने किया।

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