आदिवासी-दलित समाज से मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री हो: डाॅ. मोहनलाल

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भोपाल : दलित आदिवासी वंचित फोरम व्दारा मध्यप्रदेश में आदिवासी-दलितों जनसंख्या 40 प्रतिशत रहने के बावजूद मुख्यमंत्री क्यो नही बना इस विषय को लेकर से तुलसीनगर , भोपाल में चिंतन शिबिर का आयोजन किया गया था।
संस्था के चेयरमैन एवं रिपब्लिकन पार्टी (आंबेडकर) के राष्ट्रीय महासचिव डा मोहनलाल पाटील ने चिंतन शिबिर को संम्बोधित करते हुये कहा कि मध्यप्रदेश विधान सभा में दलित आदिवासीयों के लिए आरक्षण प्रावधान -अनुच्छेद 332 के तहत 230 विधान सभा सीटों में से अनुसूचित जनजाति के लिए 47 एवं अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटे आरक्षित है। 82 आरक्षित सीटों वाले इस समाज का 65 वर्ष में कभी मुख्यमंत्री नही बना। सत्ताधारी दल और प्रमुख विपक्ष दल इस समाज से कभी नेतृत्व उभरने नही देता है या उभरे हुये नेतृत्व को समाप्त करता है। इसलिए दलित आदिवासीयों को संगठीत होकर इस षड़यंत्र के खिलाफ सचेत होने की आवश्यकता है। या जो पार्टी आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का वादा करती है, उसके साथ खडे होने की आवश्यकता है। या सबको संगठीत होकर राजनैतिक दल ताकत खडी करने की आवश्यकता है।
चिंतन शिबिर में फोरम के दलित बन्सोड, कैलाश वल्ले, रामदास घोसले, पवनबाबु सोनवने, अमित बन्सोड, प्रकाश रणवीर, धनराज शेन्डे, सतिश सोमकुवर, गंगाधर गजभीये, मनोहर तागडे, महादेव डोंगरे, निर्मल मानकर, चंद्रकुमार ढोले, किशोर कुंभारे, राहुल लोनारे, दिपक दिवाना, राहुल मेश्राम, रामदास ढोके, पुरुषोत्तम कडबे, राजु गजभिये, अमजद अली, सुरेन्द गजभिये,मिलन बागडे, रामप्रताप पाल उपस्थित थे।

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