electronic voting machine: 42 सालों में 152 चुनाव कराने के बाद भी कसौटी पर खरी उतरी

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देश में इस साल 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने हैं। हर बार चुनाव में हार के बाद समर्थकों के बीच साख बचाने के लिए प्रत्याशी और राजनीतिक दल ईवीएम पर हार का ठीकरा फोड़ते आए हैं। 42 सालों में राज्यों के करीब 148 विधानसभा चुनाव और 4 आम चुनाव कराने के बाद भी सवाल उठाए जाते रहते हैं। लोकतंत्र को मजबूती देने की अपनी 42 साल की यात्रा में ईवीएम ( electronic voting machine) पर अब तक गड़बड़ियों से जुड़े अनगिनत आरोप लग चुके हैं।

हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाइयां भी लड़ी जा चुकी हैं, लेकिन ईवीएम हर अग्नि परीक्षा में खरी उतरी है। वैसे भी चुनाव में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग के सख्त नियम हैं। असेंबलिंग से लेकर वोटिंग तक ईवीएम को करीब पांच सौ ट्रायल और आधा दर्जन मॉक पोल से गुजरना पड़ता है। हर स्तर पर खरा उतरने पर ही इस्तेमाल में लाया जाता है। खास बात यह है कि सभी ट्रायल और मॉक पोल राजनीतिक दलों की मौजूदगी में होते हैं।

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