मीट फैक्ट्री को एक ने जारी किया नोटिस, दूसरे ने किया रद्द, जानिए क्यों हो रहा खेल

India Uttar Pradesh टेक-नेट

लव इंडिया, संभलः इन दिनो मीट फैक्ट्रीयां पॉल्यूशन विभाग की कार्यवाही को लेकर चर्चाओं मे है। दो फैक्ट्रीयों पर कार्यवाही ओर तीसरी फैक्ट्री को बचाने की साजिश का पर्दा फाश होता नज़र आ रहा है। पॉल्यूशन विभाग खुद सही फैसला लेने मे अपनी पारदर्शिता को खो रहा हैं ओर पत्र बाज़ी के खेल ने तरह-तरह के सवालियां निशान लगाने शुरू कर दिये हैं।

पहले अर फलाह फ्रोज़न फूड को बन्द किया गया ओर उसके बाद अल रहमान फ्रोज़न फूड को। तीसरी फैक्ट्री इण्डिया फ्रोज़न फूड को नोटिस जारी किया गया। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी ने इण्डिया फ्रोज़न फूड को 06 सितम्बर को नोटिस जारी कर 15 दिन मे जवाब देने का समय दिया था।

पत्र मे राज्य समिति द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र न होना ओर 350 भैंस व भैंसा पशुवध की अनुमति पर 700 का वधन होना ओर ऑफ लाईन अनुमति का ज़िक्र किया साफ-साफ किया था। लेकिन अचानक पॉल्यूशन विभाग मे कुछ दिनो के भीतर ऐसा क्या हुआ की। 09 सितम्बर को मुख्य पर्यावरण अधिकारी वित्तृ-7 ने 06 सितम्बर के मुख्य पर्यावरण अधिकारी के जारी नोटिस को रद्द कर दिया। जारी पत्र मे कहा गया है कि 06 सिम्तम्बर को जारी नोटिस अनाधिकृत रूप से बिना सक्षम अधिकारी से अनुमोदन प्राप्त किये बिना ही कार्यक्षेत्र सम्बंधी अनाधिकृत अधिकारी द्वारा अनाधिकृत रूप से जारी किया गया है।

अतः सक्षम स्तर से प्राप्त निर्देशों के अनुक्रम मे पत्र मे उल्लिखित समस्त अभिकथनो को ओवररूलेड किया जाता है तथा राजेन्द्र सिंह, मुख्य पर्यावरण अधिकारी (प्रशासन) द्वारा निर्गत पत्र 06 सितम्बर 2023 विधिशून्य एवं निष्प्रभावी माना जाए। बताते चलें कि पॉल्यूशन विभाग कार्यवाही पर सवालिया निशान लग रहे हैं की एक अधिकारी दूसरे के आदेश को क्यों विधिशून्य एवं निष्प्रभावी कर रहा है। क्या पॉल्यूशन विभाग का कानून सिर्फ दो ही फैक्ट्री पर लागू होता है ओर जिस तरह तरह अल फलाह ओर अल रहमान पर कार्यवाही अमन लायी गई वह भी गैर कानूनी थी। आखिर ऐसी क्या वजह है अब जब तीसरी फैक्ट्री पर कार्यवाही का नम्बर आया तो उसको बचाने के लिए पॉल्यूशन विभाग एक अधिकारी को सरेण्डर होना पड़ा।

इस तरह तो पॉल्यूशन विभाग की पारदर्शिता पर सवाल खड़े ही होंगे ओर जो पूर्व के लेटर मे अनापत्ति प्रमाण पत्र व ऑफ लाईन पशु वधन की संख्या 700 का ज़िक्र हुआ वह भी झूठा था किया। जिस तरह की चर्चायें ओर अशंकायें व्यक्त की जा रही थी ओर सांठगांठ कर मामलें कों रफादफा करने के प्रयास हो रहे थे ठीक ऐसा ही होता प्रतीत हो रहा है। आला अफसरान को समय रहते पत्र की आंख मिचौली ओर गम्भीर मामले को लेकर सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है। सच्चाई क्या है यह जांच के बाद ही पता लग पायेगा।

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