Nagpanchami सोमवार को, पूजन के लिए इन तीन चमत्कारी मंत्रों का करें जाप
21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी का त्योहार है और इसी दिन सावन सोमवार का व्रत भी रखा जाएगा. सावन का चौथा सप्ताह बेहद शुभ दिन से शुरू हो रहा है. ये सप्ताह 21 अगस्त से 27 अगस्त 2023 तक रहेगा. इसमें तुलसीदास जंयती, कल्कि जयंती, वरलक्ष्मी व्रत और सावन पुत्रदा एकादशी व्रत आएंगे.
नाग पंचमी एक हिंदू त्योहार है जो नाग देवता ( नाग देवता ) की पूजा के लिए मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार श्रावण (जुलाई/अगस्त) के चंद्र माह के पहले भाग के पांचवें दिन मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने कालिया नाग को परास्त किया, और यह महसूस करने के बाद कि कृष्ण कोई साधारण बालक नहीं थे, साँप और उनकी पत्नियों ने उनके जीवन की भीख माँगी। कृष्ण ने उनसे यह वादा किया कि वह अब गोकुल के निवासियों को परेशान नहीं करेंगे, जिसके बाद उन्होंने उनकी जान बख्श दी। नाग पंचमी कालिया नाग पर कृष्ण की जीत का जश्न मनाने के लिए मनाई जाती है।
घर पर नागा पूजा कैसे करें?
एक चौपाई लें और उसे नए कपड़े से ढक दें। इसके बाद चौपाई पर नाग देवता की तस्वीर या मूर्ति रखें। मूर्ति के बगल में, एक तेल का दीपक जलाएं (अधिमानतः दाहिनी ओर)। अब आपको सच्ची श्रद्धा से पूजा करने का संकल्प लेना होगा।
पूजा में न करें ये गलती –
इस दिन जीवित सांप को दूध न पिलाएं. सांप के लिए दूध जहर के समान हो सकता है, इसलिए सिर्फ उनकी प्रतिमा पर ही दूध अर्पित करें. नुकीली वस्तु से न करें काम – नाग पंचमी पर नुकीली और धारदार वस्तुओं जैसे चाकू, सूई का इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है. इस दिन सिलाई, कढ़ाई नहीं की जाती.नाग पंचमी के दिन सुई या किसी नुकीली चीज का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। पत्तेदार सब्जियों के सेवन से बचना ही सबसे अच्छा है। हालाँकि, यदि आवश्यकता पड़े तो इन्हें बिना काटे ही पकाना चाहिए। किसी भी सांप या किसी अन्य जीवित प्राणी को नुकसान न पहुंचाएं.
नागपंचमी कैसे किया जाता है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की कृष्ण पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है।हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की कृष्ण पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है।
“नागपंचमी पर नाग पूजन के तीन चमत्कारी मंत्र :-
पहला मंत्र-
“भुजंगेशाय विद्महे,
सर्पराजाय धीमहि,
तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।
दूसरा मंत्र :-
‘सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।”
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।’
अर्थात् – संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है। वे सभी हमारे दुखों को दूर करके हमें सुख-शांतिपूर्वक जीवन दें। उन सभी को हमारी ओर से बारंबार प्रणाम हो…।
“तीसरा मंत्र-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।”
“सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात: काले विशेषत:।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
यह मंत्र प्रतिदिन प्रात: और सायं जपने से व्यक्ति को विष भय नहीं रहता और चारों दिशाओं से उसे सर्वत्र विजय प्राप्त होती है”
स्वामी अनिल भंवर संस्थापक, मानव कल्याण मिशन