भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में उमड़ा भक्तों का सैलाब

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आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा पुरी उड़ीसा में होती है। उसी उपलक्ष्य समस्त संसार सहित मुरादाबाद में भी भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। जिसमें बहुत से वैष्णव भक्तों द्वारा हर्षोल्लास एवं भक्ति-भाव से दर्शन, पूजन, हरिनाम संकीर्तन एवं क्रेन द्वारा छप्पन भोगों से किया। रथयात्रा महोत्सव का शुभारम्भ रथयात्रा यूथ फोरम के द्वादश युवा भक्त क्रमशः खुशी, शिवानी, वंशिका, नन्दिनी, राधिका, आरुषी, तन्वी, सुरभि, अक्षत, कृष्णा, तुषार, देव ने किया।

तत्पश्चात् धर्मगुरु आचार्य धीरशान्त दास ‘अर्द्धमौनी’, माखन चोर दास, राजेश रस्तोगी, अरविन्द अग्रवाल जानी ने आरती, पूजन एवं नारियल फोड़कर किया। वृन्दावन, चण्डीगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, गाजियाबाद, नोयडा, हिमाचल प्रदेश, अलीगढ़, फरीदाबाद, मेरठ, हरिबांध, बहजोई, चन्दोसी से हजारों वैष्णव भक्तवृन्दों कर्णप्रिय हरे कृष्ण महामन्त्र से मंत्रमुग्ध कर दिया। बड़ी संख्या में महिला भक्तों द्वारा नृत्य संकीर्तन एवं रंगोली बनाकर, रथयात्रा महोत्सव को दिव्य शोभा से अलंकृत कर दिया।

आचार्य अर्द्धमौनी ने बताया कि ब्राह्माण्ड पुराण में वर्णन है कि जो मनुष्य भगवान जगन्नाथ जी का रथ हाथों से खींचता है, आरती- स्वागत करता है तो उसी दिन से उसका एक बड़ा पाप नष्ट होता है। जीवन की पूर्णता पर बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। भक्तों द्वारा रथ खींचने का रहस्य बताया कि श्रीकृष्ण, सुभद्रा एवं बलदेव जी कुरुक्षेत्र, सूर्य-ग्रहण पर ब्रह्म-सरोवर में स्नान करने आये तब ब्रजवासियों ने भगवान से वापिस ब्रज चलने का आग्रह किया जिसे श्रीकृष्ण जी ने स्वीकार कर लिया।

ब्रजवासियों ने घोड़े खोलकर, स्वयं रथ को कुरुक्षेत्र से वृन्दावन धाम ले गये तब से रथ खींचने पर बैकुण्ठ वास मिलता है। भगवान के विग्रह उड़ीसा के राजा इन्द्रधुम्न द्वारा आज से हजारों वर्ष पहले लकड़ी से बनवाये थे तब से ही परम्परा चली आ रही है। भगवन्नाम की महिमा अपार है। नाम ही जगत का सार है।भगवान ने तो अपने समय में कुछ भक्तों का उद्धार किया होगा। परन्तु उनका पवित्र नाम तो आज तक लाखों करोड़ों जीवों का उद्धार कर रहा है और करता रहेगा ।

हरि भक्तों के लिए उनका नाम ही सर्वस्व धन होता है। इस नाम रूपी धन को संरक्षक की भी आवश्यकता नहीं क्योंकि इसे कोई चुरा नहीं सकता। पारस से भी ज्यादा महत्व का धन है क्योंकि पारस तो लौकिक वैभव ही देता है परन्तु हरि सेवा के साथ नाम रूपी मणि अलौकिक प्रभु प्रेम रसायन प्रदान करती है। रथयात्रा गवर्नमेंट कॉलेज से आरम्भ होकर मण्डी चौक, अमरोहा गेट, टाउन हॉल, गंज बाजार, ताड़ीखाना, गुलजारीमल धर्मशाला, बुधबाजार एस एस के स्कूल में सम्पूर्ण हुई। वहां पर रथयात्रा यूथ फोरम के भक्तों द्वारा नाटिका मंचन एवं झांकियों का मनमोहक प्रस्तुतियों से भक्तों का आनन्द विभोर कर दिया।

रथयात्रा में आचार्य धीरशान्त दास’अर्द्धमौनी’, माखन चोर दास, वृन्दावन लीला देवी दासी, पुजारी गोविन्द प्रसाद दास, सनातन दास, दीपक जोशी, मोहित वैष्णव, रघुनाथ दास, मदन मोहन दास, अश्वनी कुमार दास, केशव दास, राधिका रास रानी, ऋषि कुमार दास, ओजस्वी सिंघल, हरिनानक दास, आकाश सिंघल, कमल गुप्ता, जतिन अग्रवाल, उदित उपाध्याय, प्रेम सक्सेना, राहुल रस्तोगी, सीमा गुप्ता, नीलांचल देवी दासी, सहिष्णु चैतन्य दास, सीता माधुरी देवी दासी, नादिया हरि देवी दासी, आलोक खन्ना, सोनू गुप्ता, देवांश अग्रवाल, किरन प्रजापति आदि ने सहभागिता की।

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