टीएमयू में 64 रिद्धियोंका आस्थापूर्ण स्मरण

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आशीष सिंघई /डॉ.विनोद जैन, लव इंडिया,मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में आस्था की बयार बह रही है। श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने 64 अर्घ्य समर्पित करके 64 रिद्धियों की कामना की।

विधानाचार्य श्री ऋषभ शास्त्री के सानिध्य में यह पूजा विधि-विधान से चल रही है। श्रद्धालुओं ने भगवान के अभिषेक और प्रक्षालन के बाद नियमबद्ध तरीके से जाप पूर्ण करके पुण्य लाभ प्राप्त किया। विधान में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन के संग-संग फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। इस विशेष पूजा में यूपी के संग-संग महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम आदि से आए श्रावक-श्राविकाएं धर्म लाभ कमा रहे हैं।

इनके अलावा मुरादाबाद जैन समाज के गणमान्य नागरिकों ने भी रिद्धि-सिद्धि भवन पहुंचकर आस्था के सागर में डुबकी लगाई। रिद्धि का अर्थ है विशिष्ट शक्ति की प्राप्ति। आत्म आराधक जीवों के साधक दशा में विशुद्धि निमित्त पाकर अपनी साधनानुसार कुछ विशिष्ट रिद्धियों में उत्पन्न हो जाती है। इसी दौरान विधानाचार्य द्वारा कार्योत्सर्ग की उचित विधि और पूजा का महात्म्य पर प्रकाश डाला। पंचपरमेष्टि पूजन, समुच्चय चौबीसी, जिनपूजन, नंदीश्वर द्वीप पूजन में भोपाल से आई संजय एंड पार्टी ने उत्कृष्ट संगीत और भक्ति गीतों के रस में डुबोकर श्रद्धालुओं को पूजा के पद्यों से आध्यात्मिक उन्नयन कराया।

विभिन्न सुमधुर और कर्ण प्रिय भजनों जैसे-हमें आन पड़ेगा तेरे द्वार में,तेरा मंत्र ण्मोकार है प्राणों से प्यारा, आओ बसाए मानमंदिर में प्रतिमा जिन भगवान की, काली घटा छाई अरे, आई आई प्रभु तेरी याद आयी, अब तक तो निभाया है, भगवान मेरी नैया पार लगा देना, जिसने भी प्रभु पार्श्व को ध्याया रात हमें सच नींद नहीं आई, आंखों में झूले बाहुबली बड़ी मुश्किलों से मिली है हमेें आज आराधना जमाने से, कहो अकेले नहीं हम तुम मत जइयो… ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया और भक्ति में सरोबार कर दिया। श्रद्धालु हाथों में झूमर लिए हुए थे।

भगवान के सम्मुख बनें छोटा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में सम्मेद शिखर जी से आए प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ शास्त्री ने संध्याकालीन में छोटी- छोटी ,लेकिन प्रेरित कहानियां श्रद्धालुओं से साझा कीं। एक बगीचे में ऊंचा पेड़ लगा था। नीचे घास लगी थी। पेड़ रोज ताना मारता कि तुम्हारा क्या फायदा, जब आप फल और फूल नहीं देते हैं ? एक दिन तेज हवा चली तो घास गिर कर स्वयं खड़ी हो गयी, लेकिन पेड़ गिर जाए तो वापस खुद खड़ा हो सकता है क्या ? इस प्रकार हमें भी भगवान के आगे छोटा बन कर जाना चाहिए वरना हमारा भी पेड़ जैसा हाल होगा।

विधानाचार्य बोले, जाप कायोत्सर्ग मुद्रा में ही करना चाहिए, जिससे हमें दो फायदे होते हैं। एक तो भक्ति होती है, दूसरा हमारे स्वास्थ संबंधी क्रियाएं होती हैं, जिससे हमारी भक्ति और शक्ति दोनों संतुलित रहती हैं। पवित्र मन से करें भक्तिकोलकाता के बेलगछिया मंदिर में एक महिला जिनवाणी लेकर खड़ी हुई थी। एक व्यक्ति ने उनसे पूछा कि माता जी आपको पुस्तक पढ़ना आती है क्या ? माताजी ने कहा-नहीं आती है। फिर उस व्यक्ति ने कहा कि मैं पढ़कर सुनाऊं क्या, आपको समझ आएगी क्या ? माताजी बोलीं, मुझे समझ में नहीं आएगी। व्यक्ति ने सवाल किया कि आप फिर किताब लेकर क्यों खड़ी हैं ? महिला ने जवाब दिया कि मैं अपने हाथों को पवित्र कर लूं, इसीलिए पुस्तक लेकर खड़ी हूं। कहने का अर्थ है, आप लोगों को भी साधना और भक्ति पवित्र मन से करनी चाहिए।

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