आरटीओ में चल रहा अर्थ का काला खेल: परमिट विभाग का ‘अतुल ‘ खुलेआम बढ़ा रहा है ‘भ्रष्टाचार’ की बेल

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लव इंडिया, मुरादाबाद। आरटीओ में इन दिनों अर्थ का एक ऐसा काला खेल चल रहा है जो अफसरों की नाक के नीचे खुलेआम हो रहा है और यह खेल हो रहा है आरटीओ के परमिट विभाग में। यहां का ‘अतुल’ बड़े करीबियों की कृपा दृष्टि से ‘भ्रष्टाचार’ की बेल को बढ़ा रहा है।

मालूम हो कि पिछले दिनों लव इंडिया नेशनल ने परमिट विभाग के वरिष्ठ लिपिक और प्राइवेट कर्मी के बीच हुए नोकझोंक के बाद विवाद की रिपोर्ट अपडेट की थी तो हड़कंप मच गया था क्योंकि आरटीओ के परमिट विभाग का यह मामला सुविधा शुल्क को लेकर हुआ था और इस हंगामे का कारण बाहरी लोग नहीं थे बल्कि आरटीओ विभाग के अफसरों के कृपा पात्र के बीच हुआ था और इस विवाद के बाद परमिट विभाग के ही नहीं बल्कि आरटीओ के अन्य लिपिक भी एक बैनर के नीचे आ गए थे और उन्होंने प्राइवेट कर्मी को हटाने की मांग की थी लेकिन जब यह मामला अफसरों तक पहुंचा तो उल्टा हो गया और रफा-दफा कर दिया गया था। असल में इसका कारण परमिट विभाग में कोई भी काम बिना सुविधा शुल्क के नहीं होता और यहां पर हर काम के दाम निर्धारित है और झगड़े का भी यही कारण था कि परमिट विभाग का वरिष्ठ लिपिक बिना सुविधा शुल्क के काम नहीं कर रहा था और प्राइवेट कर्मी सुविधा शुल्क देने को तैयार नहीं था।

फिलहाल, एक बार फिर से आरटीओ का परमिट विभाग चर्चा में है। खासकर इस विभाग का यह अतुल जो सीनियर है लेकिन इस पर बड़ों की कृपा भी है और यही कारण है कि इस वरिष्ठ लिपिक के बगैर परमिट विभाग में कोई भी काम संभव नहीं है। इस विभाग में बैठे अन्य वरिष्ठ लिपिक सिर्फ कागजी शोपीस हैं।

यह वरिष्ठ लिपिक सरेआम कहता है कि उसकी कोई कुर्सी नहीं हिला सकता। इसी गलतफहमी में वशिष्ठ लिपिक हर काम के अपने हिसाब से दाम ले रहा है और ऐसे में यहां आए दिन नोकझोंक और आरोप-प्रत्यारोप सरेआम होते हैं। चालकों की माने तो नेशनल परमिट के लिए ढाई हजार रुपए और परमिट रिनुअल के लिए 12 सौ रुपए लिए जा रहे हैं। इस संबंध में आरटीओ से जानकारी का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। ऐसे में अगर आरटीओ का पक्ष मिलता है तो पाठकों तक पहुंचाया जाएगा।

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