दावे के विपरीत इस हेल्थ केयर सेंटर और लैब का पंजीकरण नहीं है सीएमओ दफ्तर में

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लव इंडिया, मुरादाबाद। साहब! स्वास्थ्य विभाग के आर्शीवाद से जिले में दस हजार से अधिक अपंजीकृत अस्पताल, क्लीनिक और नर्सिंग होम कुकरमुत्तों की तरह अवैध बिल्डिंगों में खुले है जहां मरीजों को भर्ती भी चारपाईयों पर करके उपचार किया जाता है। ऐसा ही एक अपंजीकृत अस्पताल का पकड़ में आया है।

ये अपंजीकृत अस्पताल डिलारी- इस्लामनगर रोड़ स्थित गांव काजीपुरा मुस्तापुर में दो वर्षों से खुला है। दिल्ली हेल्थ केयर सेंटर के संचालक डा.तंजीम हुसैन कामिल बताए जाते है जो खुद को यूनानी चिकित्सक बताते हैं। रजिस्ट्रेशन के सम्बंध में जब डा. तंजीम से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि सीएमओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन है और मेरे अस्पताल में प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद है।

चारपाइयों पर भर्ती मरीजों के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब बैडों पर जगह नही है तो मरीजों के कहने पर ये सुविधा दी गई है। लैब संचालित होने पर कहा कि पंजीकरण है। असल में इस दिल्ली हेल्थ केयर सेंटर के नाम सीएमओ दफ्तर में रजिस्ट्रेशन नही है और न लैब का पंजीकरण है।

बस स्वास्थ्य विभाग के आर्शीवाद से अवैध अस्पताल और पैथोलॉजी लैब खोल रखी है जहां पर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। जांच का विषय ये भी है कि एक यूनानी चिकित्सक अपनी पद्धति छोड़कर ऐलोपैथिक पद्धति में मरीजों को दवाई देकर उपचार कर रहा है। वर्तमान में काजीपुरा मुस्तापुर के हर घर में बुखार से पीड़ित मरीज देखने और सुनने को मिल रहे है।

प्रशासन को स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी पर नजर रखनी होगी क्योंकि उनकी करनी और कथनी में जमीन आसमान का अंतर है एक तरफ तो अवैध अस्पतालों पर कार्यवाही की जा रही है अगले दिन उनको खोलने की मोखिक अनुमति खोलने की दी जाती है। यहां तक कि दिखावट के लिए सील किये जा रहे अस्पताल, लैबों की एफआईआर की चिट्ठी भी सम्बंधित थाने को भेज दी जाती है लेकिन एफआईआर नहीं होती है।

उधर पुलिस के उच्च अधिकारी इस बात का दम भरते है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की लापरवाही है जो थानों में मुकदमें दर्ज नही हो रहे है। कई थानाध्यक्ष ने बताया कि उसी पर मुकदमा लिखा जाएगा जिस पर नोडल अधिकारी डा. संजीव बेलवाल द्वारा कहा जाएगा। यू तो चिट्ठी सिर्फ धूल चाटने और अपने बचाव के लिए सीएमओ दफ्तर से भेजी जाती है।

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