डॉक्टर बीके दत्ता का कंपाउंडर बन गया बच्चों का डॉक्टर और खोलिया अस्पताल

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लव इंडिया, मुरादाबाद। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की सांठगांठ से हर कोई अब डॉक्टर बन रहा है। आपको यकीन हो या ना हो लेकिन यही कड़वा सच है और इसका उदाहरण बिलारी के महाराणा चौक ईदगाह रोड पर निशा चाइल्ड क्लीनिक है जिसे 3 साल से झोलाछाप संचालित कर रहा है और खास बात यह है कि यह झोलाछाप बच्चों का इलाज कर रहा है। इतना ही नहीं, इस अस्पताल का मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहां पंजीकरण भी नहीं है।

स्वयंभू डॉक्टर प्रदीप कुमार

बिलारी के महाराणा प्रताप चौक ईदगाह रोड़ पर एक झोलाछाप डाक्टर ने बिना पंजीकरण के बच्चों का अस्पताल तीन वर्षों से खोल रखा है। इस अस्पताल को निशा चाइल्ड क्लीनिक का नाम दिया गया है। इस अपंजीकृत क्लीनिक में बच्चों के उपचार के लिए 5 एनआईसीयू कक्ष बनाए गये है जहां पर नवजात शिशुओं को मशीनों में रखा जाता है।

बिना पंजीकरण के विशाल आवासीय बिल्डिंग में संचालित हो रहे इस क्लीनिक को हम अस्पताल लिखे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि इस क्लीनिक में दर्जनों बैड बच्चों को भर्ती करने के लिए मौजूद है। एक विशाल मेडिकल भी इस अस्पताल के बाहर उपलब्ध है नॉन फार्मिस्ट द्वारा दवाईयां मरीजों को दी जाती है। करीब तीन वर्षों से संचालित इस अस्पताल पर स्वास्थ्य विभाग की खास मेहरबानी है। इस अस्पताल के संचालक प्रदीप कुमार है जिनके पास मेडिकल की कोई योग्य डिग्री नही है।

बस उन्होंने पारकर रोड़ मुरादाबाद में संचालित डा. बीके दत्त चिल्ड्रन हॉस्पिटल में आठ साल तक कम्पाउंडरी का अनुभव है। उसी के सहारे बच्चों का ये बड़ा अस्पताल महाराणा चौक ईदगाह रोड़ पर आलीशान बिल्डिंग में खोला गया है। मरीजों को गुमराह करने के लिए अस्पताल के बाहर लगे बोर्ड और पर्चे पर प्रसिद्ध डा. बीके दत्त का नाम और डिग्री लिख दी है ताकि मरीज ये समझ जाए कि प्रसिद्ध डा.बीके दत्त का ये अस्पताल है। हद तो तब हो गई जब कम्पाउंडर प्रदीप कुमार ने संवाददाता को बताया कि उन्हीं के नाम से मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय मुरादाबाद में उनके अस्पताल का पंजीकरण है।

निशा चाइल्ड क्लिनिक के अंदर भी लिखा है डॉ बीके दत्त का नाम

इस झूठ का पर्दाफाश करने के लिए जब सीएमओ दफ्तर में पूछताछ कि गई तो पता चला कि बिलारी में निशा चाइल्ड क्लीनिक के नाम से कोई पंजीकरण नही है और न ऑनलाइन आवेदन किया गया है। इस अवैध अस्पताल में नवजात शिशुओं से लेकर 14 साल तक के बच्चों के इलाज की व्यवस्था है। विशेष बात ये है कि झोलाछाप डाक्टर के इस अस्पताल में कोई योग्य पैरामेडिकल स्टाफ तक नहीं है बस रामभरोसे ही बच्चों का उपचार और खुलेआम हो रहा है।

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