अपने ही बयान में फंसे श्रीराम मूर्ति नर्सिंग होम के मैनेजिंग डायरेक्टर
लव इंडिया, मुरादाबाद। आशियाना रोड़ स्थित श्रीराममूर्ति नर्सिंग होम के मैनेजिंग डायरेक्टर राज सिंह अपने ही बयान में फंसते नजर आ रहें है। क्योंकि टीएमयू यूनिवर्सिटी में कोई डा. रामकुमार नहीं है। इसकी पुष्टि यूनिवर्सिटी के डा. अभिषेक कपूर ने की है। अब बड़ा सवाल यह है कि तो फिर फरहा परवीन का सिजेरियन किस चिकित्सक ने किया और किस चिकित्सक एनेस्थीसिया ने ऑपरेशन के दौरान नंशे का इंजेक्शन लगाया? ये स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डा. संजीव बेलवाल की जांच का एक मुख्य बिंदु होना चाहिए।
बताते चले कि अक्टूबर माह में श्रीराममूर्ति नर्सिग होम प्रसव पीड़ा होने पर एक दलाल महिला के कहने पर फरीद ने अपनी पुत्री को भर्ती कराया था। जहां पर उसने ऑपरेशन से एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन इस दौरान किसी अनट्रेंड स्टाफ ने ज्यादा ओवरडोज इंजेक्शन के जरिए जच्चा को दी थी। जिस कारण फरहा की तबियत बिगड़ती चली गई। 26 घंटे बाद थोड़ा होश आया तो मरीज को दौरे पड़ने शुरू हो गए।
हालात को बिगड़ता देखकर नर्सिंग होम संचालक के कहने पर महिला को कुमार नर्सिंग होम में डा. अर्पित की निगरानी में भर्ती कराया गया था। दो दिन भर्ती रहने के बाद भी मरीज की हालत में कोई सुधार नही हुआ तो कांठ रोड स्थित फोटोन हॉस्पिटलं में न्यूरो सर्जन डा. अस्मत अली की निगरानी में भर्ती कराया गया। चिकित्सक के परामर्श के बाद जब फरहा के सिटी स्कैन और एमआरआई कराई गई तो ब्रेन हेमरेज की पुष्टि हुई थी।
जब मीडिया ने इस मामले में नर्सिग होम के संचालक राज सिंह से ये पूछा कि किस चिकित्सक ने फरहा का ऑपरेशन किया था? किस चिकित्सक ने नशे का इंजेक्शन दिया और उनके द्वारा नोट्स लिखे गए तो उन्होंने बताया कि टीएमयू के डा. रामकुमार एमबीबीएस एमएस ने ऑपरेशन किया था उन्ही के साथ एनेस्थीसिया आए थे। लेकिन उनके द्वारा लिखे नोट्स मैनें सीएमओ कार्यालय में जमा करा दिये।
इस संबंध में टीएमयू के मेडिकल डिपार्टमेंट के हेड डाॅ. अभिषेक कपूर से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि डा. रामकुमार नामक चिकित्सक टीएमयू में नही है। सर्जिकल विशेषज्ञों की माने तो महिला का सिजेरियन करने के लिए डीजीओ एमएस महिला चिकित्सक ही बाध्य है। किसी पुरुष चिकित्सक सर्जन को महिला का सिजेरियन करने का अधिकार नहीं है।
उधर, पीड़ित फरीद ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि यदि इस तरह इस नर्सिंग होम में धोखेबाजी और मानकों के विपरीत झोलाछाप डाक्टर ऑपरेशन करते है तो स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना बेकार है। वह इस मामलें को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के समक्ष उठाएगें। ताकि ऐसे गलत ऑप्रेशन करने वाले झोलाछाप डाक्टरों से बचाया जा सकें।