SC ने SIR विवाद पर ECI को सशर्त हरी झंडी दी, कहा—आधार नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं

“सुप्रीम कोर्ट ने SIR-Bihar मामले में कहा—आधार अकेली नागरिकता-सा प्रमाण नहीं, लेकिन ECI को मतदाता सूची संशोधन करने की स्वतंत्रता; शिकायत मिली तो हस्तक्षेप का भरोसा।”


बड़े पैमाने पर विलोपन पाए गए तो हस्तक्षेप करेगा

बिहार के मतदाता पुनरीक्षण (SIR) पर सुनवाई के दौरान SC ने कहा “ये मामला भरोसे की कमी (trust-deficit)” का है; अगर बड़े पैमाने पर विलोपन पाए गए तो हस्तक्षेप करेगा।


पृष्ठभूमि (65 लाख नाम हटाए जाने की जानकारा)

  • 24 जून 2025 को ECI ने बिहार में SIR लागू किया।
  • इसका उद्देश्य था — मतदाता सूची को अपडेट करना, अवैध/निष्प्रभावित मतदाताओं को हटाना, और वास्तविक नागरिकों को शामिल करना।
  • 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित हुई, जिसमें लगभग 65 लाख नाम हटाए जाने की जानकारी आई।

SIR के खिलाफ दायर याचिकाएँ और दलीलें

  • कुछ राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन (जैसे Association for Democratic Reforms – ADR), और वरिष्ठ वकील (जैसे Kapil Sibal, Prashant Bhushan) ने दावा किया कि SIR “भ्रष्टिपूर्ण नागरिकता स्क्रीनिंग” है।
  • उनका तर्क है कि SIR के कारण लाखों वास्तविक मतदाताओं — खासकर गरीब, अनपढ़, वंचित — की वोटिंग योग्यता छीनने का खतरा है।
  • उन्होंने कहा कि ECI ने उन दस्तावेजों (birth certificate, parents’ citizenship proof, आदि) की मांग की है जिन्हें आम जनता के पास नहीं है; इस कारण वोटर विलोपन हो गया।

SC का प्रारंभिक रुख

  • सुनवाई के दौरान SC (बेंच — Surya Kant और Joymalya Bagchi ) ने कहा कि SIR विवाद “लार्जली ट्रस्ट-डिफिसिट (भरोसे की कमी)” का मामला है।
  • कोर्ट ने कहा कि अगर मतदाता सूची से विलोपन (exclusion) हुआ है — विशेषकर बड़े पैमाने पर — तो वह हस्तक्षेप करेगा।
  • कहा गया कि सिर्फ कागजी दलीलों को मान लेना पर्याप्त नहीं; अगर कोई जीवित व्यक्ति “मृत” माना गया या नाम हटा दिया गया — SC हस्तक्षेप करेगी।

आधार (Aadhaar) को लेकर SC की टिप्पणी

  • SC ने स्पष्ट कहा कि आधार कार्ड को “नागरिकता का अंतिम प्रमाण (conclusive proof of citizenship)” नहीं माना जा सकता।
  • हालांकि, आधार को पहचान (identity) के एक दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार करने की मंजूरी दी गई — यानी यदि आधार दिया जाए, EC इसे सत्यापित कर सकती है।
  • SC ने ECI को निर्देश दिया कि आधार को 12वें दस्तावेज़ के रूप में सूचीबद्ध किया जाए।

ECI का रुख / बचाव

  • ECI का कहना है कि SIR भारत संविधान (Article 324) और Representation of People Act, 1950 के तहत उसका संवैधानिक अधिकार है।
  • ECI ने कहा कि मतदाता सूची पिछले लगभग 20 साल से गहन रूप से संशोधित नहीं की गई थी — इसलिए यह पुनरीक्षण जरूरी था।
  • ECI ने स्वीकार किया कि ड्राफ्ट सूची में “कुछ त्रुटियाँ (defects)” हो सकती हैं, लेकिन कहा कि अंतिम सूची फाइनल होने से पहले सुधार का अवसर है।

deleted / हटाए गए नामों का विवाद

  • ड्राफ्ट सूची में लगभग 65 लाख नाम हटाए जाने की जानकारी आई।
  • विरोधी पक्षों का कहना है कि यह संख्या वाकई बड़ी है, और इससे लाखों लोग वोट देने से वंचित हो सकते हैं।
  • SC ने पूछा कि अगर विलोपन के खिलाफ तर्क है तो लोगों को नाम वापस दिलाने का मौका क्यों नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि ECI के आदेशों में ऐसे लोगों के लिए आवेदन की प्रक्रिया है।

मतदाता अधिकार और लोकतंत्र की चिंता

  • विरोधी पक्षों ने कहा कि SIR — जैसा चल रहा है — भारत की सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (universal adult franchise) की भावना के खिलाफ है।
  • उन्होंने चेतावनी दी कि गरीब, वंचित, दस्तावेज़ों के अभाव में — सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग — वोटर सूची से बाहर हो सकते हैं।
  • SC ने इस चिंता को देखा, लेकिन कहा कि दस्तावेज़ों की सत्यता पर ECI का अधिकार है; कोई “ऑटोमैटिक शामिल करना” आवश्यक नहीं।

कोर्ट ने क्या कहा — निष्कर्षात्मक टिप्पणियाँ

  • SC ने कहा कि SIR प्रक्रिया सही हो सकती है — यदि ECI ने नियमों का सही पालन किया और मतदाता विलोपन के विरुद्ध उचित तंत्र रखा।
  • साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार को पहचान दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाएगा, लेकिन नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं।
  • अगर कहीं बड़े पैमाने पर विलोपन (mass exclusion) या गलत विलोपन हुआ — जैसे जीवित व्यक्ति को मृत घोषित करना — SC हस्तक्षेप करेगी।

सुनवाई की अगली दिशा / आगे की प्रक्रिया

  • SC ने ECI को निर्देश दिया है कि SIR पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो — ड्राफ्ट सूची प्रकाशित हो, हटाए गए नामों की सूची सार्वजनिक हो, और लोगों को पुनः आवेदन का मौका मिले।
  • यदि कोई शिकायत मिलती है कि विलोपन गलत है — जैसे मृत बताया गया व्यक्ति जीवित, या माइग्रेशन / डुप्लिकेट वोटर — तो कोर्ट हस्तक्षेप के लिए तैयार है।
  • SIR प्रक्रिया जारी है; दिल्ली सहित अन्य राज्यों (जहाँ SIR लागू हुआ या प्रस्तावित) में सुनवाई प्रस्तावित है।

विरोध और समर्थन — दो तरफा विश्लेषण

विपक्ष / विरोधी आवाजें कहते हैं:

  • SIR असंवैधानिक, लोकतंत्र व मताधिकार के खिलाफ।
  • गरीब, वंचित, दस्तावेज़-रहित मतदाता वंचित हो सकते हैं।

ECI और समर्थकों का कहना है:

  • मतदाता सूची पुरानी, ग़लत और अव्यवस्थित थी — इसे सुधारना लोकतंत्र की मजबूती है।
  • SIR प्रक्रिया कानूनी है; नाम हटना ड्राफ्ट सूची का हिस्सा है; सुधार की गुंजाइश है।

जम्मू-कश्मीर नहीं, लेकिन मिसकैरेज (अगर होता है) तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगी

(यह कॉलम इसी बात पर रोशनी डालता है कि SC ने स्पष्ट किया है कि SIR को बर्खास्त करना नहीं चाहता, पर गलतियों की स्थिति में संपूर्ण हस्तक्षेप करेगी) — जैसा कि कॉलम 10–11 में बताया।


वोटर वंचना, विश्वास-घात, लोकतंत्र की हानि की बात बनेगी

SIR विवाद — नागरिकता, मताधिकार, दस्तावेज़-आधारित पहचान और लोकतंत्र की संवेदनशीलता का एक जटिल मुद्दा है। SC ने फिलहाल ECI को सीमित समर्थन दिया है, लेकिन साथ ही ​भारी विलोपन / गलत विलोपन होने पर हस्तक्षेप की चेतावनी भी दी है। यदि प्रक्रिया पारदर्शी रही, और गरीब / दस्तावेज़-रहित मतदाताओं को न्याय मिला — तो SIR को लोकतंत्र सुधार का कदम माना जा सकता है। अन्यथा — वोटर वंचना, विश्वास-घात, लोकतंत्र की हानि की बात बनेगी।


आपके दिए व्यंग्यात्मक दावे पर टिप्पणी

आपके टेक्स्ट में आपने यह लिखा कि “नए चीफ जस्टिस सूर्यकांत जी ने SIR का विरोध करने वालों की धज्जियां उड़ा दीें…” — यह कहना थोड़ा अतिशयोक्ति हो सकता है। दरअसल, SC ने पूरी तरह विरोध करने वालों की दलीलों को खारिज नहीं किया, बल्कि कहा कि “यह मामला भरोसे की कमी (trust-deficit)” का है, और ECI को सीमित मान्यता दी है — बशर्ते प्रक्रिया पारदर्शी हो।

इसलिए, “धज्जियां उड़ाई गईं” कहना सही नहीं है — बल्कि कहा जा सकता है कि SC ने ECI को मौका दिया है, लेकिन रुख़ अभी सुनिश्चित नहीं हुआ।


⚠️ निष्कर्ष — क्या कह सकते हैं कि “SIR की कार्रवाई पुष्टि हो चुकी है”?

नहीं — अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी। SIR प्रक्रिया जारी है, ड्राफ्ट सूची जारी हो चुकी है, लेकिन फाइनल सूची नहीं बनी है। कोर्ट सुनवाई जारी है। SC ने ECI को सीमित मंजूरी दी है, लेकिन यदि बड़े पैमाने पर गलती या अशुद्धि सामने आती है — तो हस्तक्षेप की चेतावनी दी है।

तो, फिलहाल कहना ठीक होगा: **“SIR प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर जारी है, और SC ने उसे पूरी तरह बंद नहीं किया — लेकिन उसकी संवैधानिक वैधता अभी पूरी तरह तय नहीं हुई।”


✅ यह घटना / सुनवाई कब की है — वर्तमान स्थिति
“सुप्रीम कोर्ट ने SIR-Bihar मामले में कहा—आधार अकेली नागरिकता-सा प्रमाण नहीं, लेकिन ECI को मतदाता सूची संशोधन करने की स्वतंत्रता; शिकायत मिली तो हस्तक्षेप का भरोसा।”


✅ यह घटना / सुनवाई कब की है — वर्तमान स्थिति

👍SIR पर नए विवाद में सुनवाई 2025 में हो रही है।

👍24 जून 2025 को ECI ने बिहार में SIR लागू करने का आदेश दिया था।

👍1 अगस्त 2025 को SIR के तहत ड्राफ्ट मतदाता सूची (draft electoral roll) प्रकाशित की गई।

👍12 अगस्त 2025 को SC में सुनवाई में यह कहा गया कि SIR विवाद “मुख्यतः भरोसे की कमी (trust-deficit)” का मामला है।

👍27 नवम्बर 2025 को भी SC में SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जहाँ यह स्पष्ट हुआ कि आधार (Aadhaar) को अकेले नागरिकता प्रमाण नहीं माना जा सकता।

👍हाल ही में SC ने निर्देश दिया है कि ECI SIR प्रक्रिया जारी रख सकती है, लेकिन अगर कोई बड़े पैमाने पर मतदाता विलोपन (mass exclusion) का मामला सामने आता है, तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा।

error: Content is protected !!