preterm labor के कारण, लक्षण, जोखिम और इलाज पर गहनता से समझाया SGPGI की डॉ नीता सिंह ने

लव इंडिया, मुरादाबाद। मुरादाबाद ऑब्सटाइन गायनोकोलॉजी सोसायटी (Moradabad Obstetric Gynecology Society) की होटल हॉलिडे रीजेंसी में हुई जनरल बॉडी की मीटिंग में एसजीपीजीआई लखनऊ से आई प्रोफेसर डॉ नीता सिंह ने गर्भवती महिलाओं की प्रीटर्म लेबर समस्या पर गहनता से समझाया और कहा कि प्रीटर्म लेबर एक ऐसी स्थिति है जब गर्भवती महिला को 37 सप्ताह से पहले प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती है। यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है, जिसमें शिशु के स्वास्थ्य और जीवन को खतरा हो सकता है।

प्रोफेसर डॉ नीता सिंह ने प्रीटर्म लेबर के कारण बताए

  1. गर्भावस्था की जटिलताएं: गर्भावस्था की जटिलताएं, जैसे कि गर्भाशय की असामान्यताएं, गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, या गर्भावस्था के दौरान मधुमेह।
  2. पिछली गर्भावस्था में प्रीटर्म लेबर: यदि महिला को पिछली गर्भावस्था में प्रीटर्म लेबर हुआ हो, तो उसे फिर से प्रीटर्म लेबर होने का खतरा अधिक होता है।
  3. गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या शराब का सेवन: गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या शराब का सेवन करने से प्रीटर्म लेबर का खतरा बढ़ सकता है।
  4. गर्भावस्था के दौरान तनाव: गर्भावस्था के दौरान तनाव का स्तर अधिक होने से प्रीटर्म लेबर का खतरा बढ़ सकता है।

प्रीटर्म लेबर के लक्षण भी बताए डॉ नीता सिंह ने

  1. पेट में दर्द: पेट में दर्द या ऐंठन जो नियमित अंतराल पर आती है।
  2. योनि स्राव: योनि से असामान्य स्राव या रक्तस्राव।
  3. प्रसव पीड़ा: प्रसव पीड़ा के लक्षण, जैसे कि पेट में दर्द, पीठ में दर्द, या योनि से स्राव।

ये हैं प्रीटर्म लेबर के जोखिम

  1. शिशु की मृत्यु: प्रीटर्म लेबर के कारण शिशु की मृत्यु हो सकती है।
  2. शिशु की जटिलताएं: प्रीटर्म लेबर के कारण शिशु को जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे कि फेफड़ों की समस्याएं, हृदय समस्याएं, या मस्तिष्क समस्याएं।
  3. माता की जटिलताएं: प्रीटर्म लेबर के कारण माता को जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे कि रक्तस्राव, संक्रमण, या गर्भाशय की समस्याएं।

प्रीटर्म लेबर में आराम, नियमित दवा और राहत न मिलने पर भर्ती की सलाह

  1. आराम: गर्भवती महिला को आराम करने की सलाह दी जाती है।
  2. दवाएं: गर्भवती महिला को दवाएं दी जा सकती हैं जो प्रसव पीड़ा को रोकने में मदद कर सकती हैं।
  3. हॉस्पिटल में भर्ती: गर्भवती महिला को हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा सकता है ताकि उसकी निगरानी की जा सके और आवश्यक उपचार प्रदान किया जा सके।

इस दौरान, संस्थापक अध्यक्ष डॉ. नीना मोहन सहित मुरादाबाद के वरिष्ठ चिकित्सक, डॉ. धनवंती रानी, डॉ. रेखा अग्रवाल, डॉ. प्रेमलता श्रीधर, डॉ. प्रीति गुप्ता, डॉ. अर्चना अग्रवाल, डॉ. उमा भरतवाल, डॉ. ऋचा गंगल, डॉ. शाजिया मोनिस, डॉ. बबीता गुप्ता, डॉ. सबा असद, डॉ. अर्चना कुमार सहित लगभग 90 डॉक्टरों ने भाग लिया। अध्यक्ष डॉ दीपाली वर्मा, सचिव डॉ नेहा चंद्रा, कोषाध्यक्ष डॉ सोनम रस्तोगी के सानिध्य में मीटिंग आयोजन हुआ था।

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