With the efforts of Modi-Yogi, Kashi will soon get the gift of ‘Sova Rigpa’ – this unique hospital being built at a cost of 93 crores

India International खाना-खजाना शिक्षा-जॉब
  वाराणसी। भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में मोदी-योगी सरकार 'सोवा रिग्पा'  का तोहफा देने जा रही है। 93 करोड़ की लागत से बन रहा 100 बेड का प्राचीन तिब्बती चिकित्सा पद्धति अस्पताल दिसंबर तक सेवा के लिये काफी हद तक तैयार हो जाएगा। अस्पताल केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ में बन रहा है। इसके पहले चरण का निर्माण अंतिम चरण में है। 'सोवा रिग्पा' में इलाज़ के साथ टीचिंग और रिसर्च का काम भी होगा। इसके बनने से कश्मीर, मुंबई, बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा भारत के अन्य प्रांतों में रहने वालों को भी तिब्बती चिकित्सा का लाभ मिलेगा। 'सोवा रिग्पा' का निर्माण मार्च 2019 में शुरू हुआ था। 

असाध्य रोगों का भी इलाज करती है सोवा रिग्पा

आयुर्वेद से मिलती-जुलती तिब्बती चिकित्सा पद्धति ‘सोवा रिग्पा’ में भी असाध्य रोगों का इलाज संभव है। ‘सोवा रिग्पा’ चिकित्साल के निर्माण से करीब 250 लोगों को प्रत्यक्ष और हज़ारों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की उम्मीद है। 1617 वर्गफुट में बन रहा अत्याधुनिक अस्पताल तीन हज़ार साल पुरानी तिब्बती चिकित्सा पद्दति ‘सोवा रिग्पा’ के लिए मोदी-योगी सरकार केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ में 1617 स्क्वायर मीटर में डबल बेसमेंट व नौ मंज़िल की अत्याधुनिक इमारत बना रही है। नौ मंजिला अस्पताल का कुल निर्माण 19,404 स्क्वायर मीटर में हो रहा है। पहले फेज में 47.5 करोड़ की लागत से चार मंज़िल का निर्माण हो रहा है। दिसंबर तक इसे शुरू कर देने की योजना है।

हेलीपैड, कॉन्फ्रेंस हॉल और ऑडिटोरियम सुविधा से रहेगा सुसज्जित

मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल में हेलिपैड भी प्रस्तावित है। इस बिल्डिंग में कांफ्रेंस समेत विभिन्न गतिविधियों के लिए आधुनिक ऑडिटोरियम होगा जहां 500 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। सेमीनार, टीचिंग, रिसर्च और मरीजों का इलाज़, तीनों चीजे एक साथ करने वाला ये देश में इकलौता इतना बड़ा सेण्टर होगा।

अस्पताल में मिलेंगी ये सुविधाएं भी

।यहां ओपीडी, 6 कंसल्टेंट रूम, (ज्योतिष कंसल्टेंट भी), एक बड़ा वेटिंग हॉल, अत्याधुनिक इमरजेंसी, इंटेंसिव केयर यूनिट, ऑपरेशन थिएटर, इनडोर पेशेंट, थेरपीज़, फार्मेसी, क्लास रूम, लाइब्रेरी, म्यूजियम, लैब, हरबेरियम और नक्षत्र शाला होगा। इसके अलावा कई सहायक विभाग और कई जरूरी सुविधाएं भी होंगी।

पुरानी और प्रमाणिक चिकित्सा पद्धति है ‘सोवा रिग्पा’

केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ के कुलसचिव हिमांशु पांडेय ने बताया कि सोवा रिग्पा मूलतः तिब्बत में ही विकसित हुआ है। जो दुनिया की पुरानी और प्रमाणिक चिकित्सा पद्धति है। सातवीं से आठवीं शताब्दी के समय में तिब्बत के राजाओं द्वारा इस पद्धति को विस्तार देने के लिए इंटरनेशनल कांफ्रेंस कराया गया था। जिसमे पर्सिया, चाइना, तिब्बत समेत कई देशों के चिकित्सक विद्वान शामिल हुए थे। तिब्बती चिकित्सा पद्धति चीन के कई प्रांतों में, मंगोलिया, रूस, नेपाल, भारत, समेत कई देशों तक ये चिकित्सा पद्धति फैली हुई है। सोवा रिग्पा कि पारम्परिक थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों ही समृद्ध है, जो क्लीनिकल पद्धति पर आधारित है। इसकी करीब आठ हज़ार से दस हज़ार कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं। साथ ही तीन से चार हज़ार ग्रंथ हैं।

वाराणसी में बनाया जाएगा हर्बल गार्डन, मिलेगा रोजगार

योगी मोदी सरकार की मदद से इसके संरक्षण से तिब्बती संस्कृति व परंपरा को संरक्षित करने में भी मदद मिलेगी। इसके इलाज के लिए हिमालयन रीज़न से जड़ी बूटियाँ आया करती है। इसके लिये अरुणाचल प्रदेश के तमांग में करीब 12,000 फिट की ऊंचाई पर पांच एकड़ का हर्बल गार्डन है। कुल सचिव ने बताया कि संस्था में भी एक छोटा हर्बल गार्डन बनाया गया है। वाराणसी में भी आगे चलकर हर्बल गार्डन बनाने की सम्भावना है। जिससे रोजगार सृजन होगा। सोवा रिग्पा पद्धति से इलाज के लिए संस्था औषधियां भी खुद बनाती है। कुलसचिव ने बताया की बहुत से असाध्य रोगों का इलाज इस पद्धति में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *