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11 जरूरी दवाओं की कीमतों में 50 फीसदी इजाफा होगा
नई दिल्ली। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने 8 दवाओं के 11 अनुसूचित यौगिकों की कीमतों में 50 प्रतिशत इजाफे की मंजूरी दे दी है। इसमें दमे की बीमारी सहित कई गंभीर बीमारियों की दवाएं शामिल हैं, जो अब महंगी हो जाएंगी। इधर संसदीय समिति ने बढ़ाई गई कीमतों का विरोध किया है। माना जा रहा है कि अब कई और दवाइयों की कीमतों में भी इजाफा शुरू हो जाएगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय 8 अक्तूबर को प्राधिकरण की बैठक के दौरान औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के पैरा 19 के तहत दी गई असाधारण शक्तियों का उपयोग करते हुए यह फैसला किया है। इस कदम का उद्देश्य सस्ती दवा उपलब्ध कराने के जनादेश से समझौता किए बिना इन दवाओं के निर्माण की वित्तीय व्यवहार्यता को बनाए रखना है।
दवा कंपनियों ने कहा उत्पादन खर्च और लागत बढ़ गई
हालांकि, दवा निर्माताओं की ओर से सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) की बढ़ती लागत, उत्पादन खर्च में वृद्धि और विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के कारण मूल्य संशोधन की मांग की थी। जिन दवाओं की कीमतों में वृद्धि को मंजूरी दी गई है उनमें अस्थमा, ग्लूकोमा, थैलेसीमिया, तपेदिक और मानसिक स्वास्थ्य विकारों जैसी स्थितियों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दवाएं शामिल हैं।
मूल्य वृद्धि से प्रभावित दवाओं की सूची
मूल्य वृद्धि से प्रभावित दवाओं की सूची में बेंजिल पेनिसिलिन 10 लाख आईयू इंजेक्शन, एट्रोपिन इंजेक्शन 0.6 एमजी/एमएल, इंजेक्शन के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन पाउडर (750 एमजी और 1000 एमजी) साल्बुटामोल टैबलेट (2 एमजी और 4 एमजी)और रेस्पिरेटर सॉल्यूशन (5) एमजी/एमएल), पिलोकार्पाइन 2 प्रतिशत ड्रॉप्स, सेफैड्रोक्सिल टैबलेट 500 एमजी, इंजेक्शन के डेसफेरियोक्सामाइन 500 एमजी और लिथियम टैबलेट 300 एमजी शामिल हैं। 2019 और 2021 ऐसे कदम उठाए गए थे। तब क्रमश: 21 और 9 तरह की दवाओं की कीमतों में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।