नीम करौली बाबा के कैंची धाम में लाखों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया

Uttarakhand तीज-त्यौहार तेरी-मेरी कहानी
कैंची धाम। हर साल की तरह इस साल भी कैंची धाम में 15 जून 2022 को प्रसिद्ध भंडारे का आयोजन किया। जहाँ एक लाख से ज्यादा लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। भक्तों और आने वाले वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि जिला प्रशासन को इसके लिए सुरक्षा, व्यवस्था उचित प्रबंध करने पड़े।
वर्ष 1964 से कैंचीधाम में 15 जून को विशाल भंडारा लगता आ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भक्तजनों को मालपुए दिए जाते हैं। ट्रस्ट प्रबंधकों के मुताबिक वर्ष 1990 में मेले के दौरान यहां 45000 श्रद्धालु पहुंचे थे। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 1994 में 80000 और उसके बाद के वर्षों से यहां एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
नीम करोली बाबा ने 10 सितंबर 1 9 73 को महासमाधि ली थी और भौतिक शरीर को छोड़ा था। उनके अस्थि कलश को कैंची धाम में स्थापित किया गया था। और इस तरह बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य 1 9 74 में शुरू हुआ।
निर्माण कार्य में लगे कारीगरों/श्रमिकों और स्वयंसेवकों ने स्नान कर और स्वच्छ कपड़े पहन कर ही कार्य शुरू किया और हनुमान चालीसा के पाठ और “महाराज की जय” का उद्घोष किया। वहां मौजूद बाबा के भक्तों ने भी हनुमान चालीसा पाठ तथा श्री राम-जय राम-जय जय राम नाम का कीर्तन किया था।
माताओं ने ईंटों पर “राम” लिखकर उन्हें श्रमिकों के पास भेजा। उस समय पूरा वातावरण “बाबा नीम करोली महाराज की जय” के जप से गूँज उठा था। कहते हैं भक्तों की भावना से अभिभूत हो कर और बाबा की कृपा से इन सभी कार्यकर्ताओं पर विश्वकर्मा (देवताओं के वास्तुकार) की विशेष कृपा हुई और उन्होंने कुशलता से अपना कार्य पूर्ण किया।
15 जून 1 976 को महाराजजी की मूर्ति की स्थापना और अभिषेक का दिन था। स्थापना और अभिषेक समारोह से पहले भागवत सप्ताह और यज्ञ का आयोजन किया गया। भक्तों ने कलश स्थापित किया और घंटियों तथा शंखनाद के साथ मंदिर पर ध्वज फहराया। उस समय सभी ने नीम करोली बाबा की भौतिक उपस्तिथि को महसूस किया। फिर वैदिक मंत्रोचार के साथ विशिष्ट विधि से बाबा की मूर्ति की स्थापना हुई। और नीम करोली बाबा कैंची धाम में गुरुमूर्ति रूप में विराजित हुए।

बाबा भंडारे की खुद करते रहते हैं देखभाल

कहते हैं कि भोजन ग्रहण करने वालों कि संख्या अधिक होने पर भी कभी भोजन की कमी यहाँ नहीं होती क्योंकि इस दिन नीम करोली बाबा स्वयं इस भंडारे की देख रेख करते हैं और किसी भी चीज़ की कमी नहीं होने देते।

15 जून को हुई थी मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा

कैंची आश्रम में हनुमानजी और अन्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा 15 जून को अलग अलग वर्षों में की गई थी। इस तरह से 15 जून को प्रतिवर्ष प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है| नीम करोली बाबा ने स्वयं भी कैंची धाम का प्रतिष्ठा दिवस 15 जून को तय किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *