श्री हंस ज्ञान मन्दिर आश्रम से निकाली गई भव्य कलशयात्रा

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लव इंडिया, मुरादाबाद। मानव उत्थान समिति के तत्वधान में श्री हंस ज्ञान मन्दिर आश्रम में मानव धर्म के प्रणेता परमपुज्य सदगुरूदेव श्री सतपाल जी महाराज के पावन जन्मोत्सव के शुभ उपलक्ष्य में 17 सितम्बर को प्रातः 10 बजे 20वीं सदभावना शोभायात्रा (कलश यात्रा) का आयोजन किया गया। आश्रम प्रभारी महात्मा आरती बाई जी ने श्री हंस ज्ञान मन्दिर से शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया यात्रा पीएसी तिराहा से नवीन नगर, दीनदयाल नगर मार्ग से विचरण करते हुऐ रामगंगाविहार श्री हंस ज्ञान मन्दिर पहुची जहां पर विशाल संत समागम हुआ। बच्चों की मनमोहक झांकियों व महापुरूषों के चित्र तथा आध्यात्मिक नारों ने सदभावना यात्रा को और भी भव्य बना दिया।

समिति के बरिष्ठ कार्यकर्ता श्री रमेश कुमार के साथ आदरणीय महात्मा आरती बाई जी ने दीप प्रज्जवलित कर ने सदभावना संत समागम का शुभारम्भ किया । गुरू बन्दना के साथ हरिद्वार से पधारे आत्मानुभवी संत महात्मा गण ने सभी धर्म ग्रन्थों, गीता, रामायण तथा वेदशास्त्रों के आधार पर आध्यात्मिक व मार्मिक प्रवचन व्यक्त किये। सर्वप्रथम महात्मा आरती बाई जी ने श्री गुरू महाराज जी के दीर्घजीवी होने की मंगल कामना कर अपने सम्बोधन में कहा कि “मानव का महान गुण सदभावना है, रागद्वेष आदि विकारों से रहित होने के लिये ज्ञान की परम आवश्यकता है, एक ज्ञानी व्यक्ति ही सर्वत्र सदभाव पुर्वक एक ही ईश्वर की सर्वव्यापकता पर विचार कर सकता है। भौतिक जगत में आध्यात्मिक ज्ञान की अति आवश्यकता है । भजन ‘सन्त महापुरूष आते हैं समझाने के लिए, कुछ तो समय निकाल प्रभु गुण गान सुनकर श्रोतागण मस्ती में झुमकर नाचने लगे ।

तत्पशचात उत्राखंड धाम से पधारे महात्मा श्री मुद्रिका बाई जी ने भजन जागो दुनियां वालो और जानो सत्यनाम । बिना नाम जाने न होगा कल्यान ।। पस्तुत किया तथा अपने सत्संग प्रवचन व्यक्त करते हुऐ बताया, “कि आज के महावैज्ञानिक युग में व्यर्थ के कार्यों व अविवेक के कारण विश्व का मानव महाघातक अस्त्र-शस्त्र का संग्रह कर रहा है, अतः मानव जगत बारूद के ढेर पर बैठा है बटन दबाते ही विकराल विनाश हो सकता । इस भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास भी जरूरी है। आत्मज्ञान के बिना व्यक्ति का जीवन अधुरा है।

तत्पश्चात, आरती, प्रसाद व भंडारे से कार्यक्रम का समापन हुआ जिसमें अनेकों भक्तों ने सहयोग दिया। रमेश कुमार, अनिल अग्रवाल, सुधीर शर्मा, आशुतोष गुप्ता, तुलसीराम, राजकुमार, रामसिंह, नानक सिंह, गंगाराम, सतीश राठौर, सोनु गुप्ता, राजकुमार, हेतराम सिहं, प्रीतम सिंह, जयपाल सिंह, धीरज, सोनित, रोहित, रीता देवी, राजबाला, शान्ति देवी, मायादेवी, मीरा अग्रवाल, विनीता अग्रवाल, रामौतार व रामपाल सिहं आदि का विशेष योगदान रहा।

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