सरकारी मशीनरी पर घटता भरोसा, आईजीआरएस पर 22 दिन में दर्ज हुई रिकॉर्ड 4400 शिकायतें

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लव इंडिया, बरेली। आईजीआरएस पर शिकायतों की भरमार साफ बता रही है कि जिले में जनता के बीच हाहाकार मचा हुआ है। ज्यादातर शिकायतों का इशारा भी एक ही है कि सरकारी विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। फरवरी के 22 दिनों में आईजीआरएस पर हुई शिकायतों की तादाद 4400 के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई हैं। ज्यादातर शिकायतें पुलिस और राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर हैं।

दूसरे नंबर पर नगर निकायों से संबंधित रोजमर्रा की सामान्य समस्याओं की हैं।आईजीआरएस पोर्टल पर पंजीकृत होने वाली शिकायतों का शत-प्रतिशत पूरी गुणवत्ता के साथ निस्तारण मुख्यमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है, लिहाजा इतने बड़े पैमाने पर शिकायतों से प्रशासनिक मशीनरी दबाव में भी है। शिकायतों के निस्तारण की स्थिति इसके बावजूद संतोषजनक नहीं है।

प्रशासनिक उच्चाधिकारी खुद कई बार बैठकों में इस पर नाराजगी जता चुके हैं। यह अलग बात है कि फिर भी इसमें कोई खास सुधार नहीं हो पा रहा है। 22 दिनों में 4400 शिकायतों का आंकड़ा बता रहा है कि हर दिन जिले भर से औसतन 200 शिकायतें आईजीआरएस पोर्टल पर पंजीकृत कराई जा रही हैं। सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली के लिहाज से इसे काफी गंभीर माना जा रहा है।

आईजीआरएस पर बढ़ती शिकायतों से सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली इसलिए भी सवालों के घेरे में है क्योंकि अफसरों तक सीधे पहुंचने वाली शिकायतों के निस्तारण की स्थिति बेहद दयनीय है। यह आरोप आम है कि जनसेवाओं से सीधे से जुड़े नगर निगम, नगर पालिका, ब्लॉक, बिजली विभाग और पुलिस थानों में की गई शिकायतों पर कई-कई चक्कर काटने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती। माना जा रहा है कि इसी वजह से लोगों ने आईजीआरएस को अपना हथियार बनाया है। फरवरी में अभी 6 दिन और बचे हैं।

माना जा रहा है कि इन दिनों में भी हजारों और शिकायतें आईजीआरएस पर दर्ज हो सकती हैं।तहसीलों में संपूर्ण समाधान दिवस और थानों में थाना दिवस के अलावा नगर निगम और बिजली विभाग में मंगलवार और सोमवार को होने वाली जनसंभव समाधान सुनवाई ऐसे कार्यक्रम हैं जहां फरियादियों के पास अधिकारियों से सीधे शिकायत करने का मौका होता है, लेकिन इन आयोजनों में काफी समय से शिकायतों की संख्या नाममात्र की रह गई है। संपूर्ण समाधान दिवस जिसमें प्रशासन और पुलिस समेत कई विभागों के अधिकारी साथ बैठते हैं, उनमें भी अब फरियादियों की तादाद अधिकतम 40-50 तक ही होती है।

दरअसल इन शिकायतों के निस्तारण की स्थिति काफी दयनीय है। कोई कार्रवाई किए बगैर ही शिकायतों को निस्तारित दिखा दिए जाने के भी आरोप लगते रहे हैं। माना जा रहा है कि इसी कारण जनसुनवाई के इन कार्यक्रमों में फरियादियों ने आना बंद कर दिया है।अफसरों का दावा है कि फरवरी के 22 दिनों में आई 4400 शिकायतों में से अब तक 4200 शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है। हालांकि इस अविश्वसनीय तेजी का सच सामने आना बाकी है।

दरअसल यह भी जानना जरूरी है कि कलेक्ट्रेट में आईजीआरएस पोर्टल देख रहे कई बाबू निस्तारित शिकायतों को ऑनलाइन देखते हैं और इसमें कोई कमी मिलने पर उस शिकायत को सी कैटेगरी में दर्ज कर पुनर्जीवित करते हैं।इसके बाद शिकायत दोबारा संबंधित विभाग को भेजी जाती है। एडीएम प्रशासन पर भी इसकी निगरानी की जिम्मेदारी है।

आईजीआरएस पर भी शिकायतों का निस्तारण किस तरह किया जाता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि निस्तारित दिखाई गई 45 से ज्यादा ऐसी शिकायतें मिली हैं, जिन पर समुचित कार्रवाई के बजाय सिर्फ खानापूरी करना पाया गया है।700 के पार पहुंचीं छुट्टा पशुओं की शिकायतेंजिले की मीरगंज, आंवला, बहेड़ी, नवाबगंज, फरीदपुर और सदर तहसील क्षेत्र से छुट्टा पशुओं के संबंध में आईजीआरएस पर दर्ज कराई गई शिकायतें अब 700 पार पहुंच गई हैं।

इनके निस्तारण की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारियों को दी गई है लेकिन छुट्टा पशुओं से किसानों को हो रही समस्या को किस तरह हल किया जा रहा है, यह इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये शिकायतें कम होने के बजाय और बढ़ती जा रही हैं।डूबी रैंकिंग तो फंसा तमाम अफसरों का वेतनपिछले महीने जिले में आईजीआरएस की रैंकिंग काफी खराब रही। इस पर कई विभागों के वरिष्ठ अफसरों का वेतन रोक दिया गया और यह रोक अब तक जारी है। यानी साफ है कि वेतन रोकने के बावजूद ये शिकायतें निस्तारित नहीं हो पाईं।

कलेक्ट्रेट के बाबू बताते हैं कि दर्जनभर ज्यादा अफसर हैं, जिनके एक से दो महीने का वेतन रुका हुआ है। जिन अफसरों का वेतन रुका है, उनके विभाग से संबंधित शिकायतों पर डिफाल्टर घोषित होने की वजह से जिले की रैंकिंग खराब हुई थी। इस बार रैंकिंग में सुधार के लिए सभी विभागों के अधिकारी शिकायतों के निस्तारण में जुटे हैं।कई विभागों ने खानापूर्ति में निस्तारित की हैं।

छुट्टा पशुओं और जमीन पर कब्जों की सर्वाधिक शिकायतें

1- जमीन पर कब्जा

2- छुट्टा पशुओं से फसल बर्बा

3- रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही पुलिस

4- भाई ने जमीन पर कब्जा कर लिया

5- सड़क खुदी पड़ी है6- सरकारी भूमि पर कब्जा

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