किसानों के मसीहा थे EX. PM चौ.चरण सिंह, उन्हीं के मार्ग पर चलें RLD कार्यकर्ता : अकीलुर्रहमान खां
लव इंडिया संभल । पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर राष्ट्रीय लोक दल ने हल्लू सराय स्थित चौधरी चरण सिंह पार्क में हवन किया हवन आचार्य दुष्यंत कृष्ण शास्त्री ने विधि विधान से संपन्न कराया। इसके बाद चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद गोष्टी हुई इसमें पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय महासचिव अकील उर रहमान खां ने चौधरी चरण सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला और उन्हें गरीब किसानों का हितैषी और मसीहा बताया।
पूर्व मंत्री अकील उर रहमान खां ने बताया कि चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार में हुआ था। स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने बरेली कि जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए।बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव, तहसील हापुड़, जनपद गाजियाबाद, कमिश्नरी मेरठ में काली मिट्टी के अनगढ़ और फूस के छप्पर वाली मढ़ैया में 23 दिसम्बर,1902 को आपका जन्म हुआ। चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे।
इस दौरान जिलाध्यक्ष कैसर अब्बास ने कहा कि यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया। गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया।
आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफतार हुए फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गये। सारे देश में इस समय असंतोष व्याप्त था। महात्मा गाँधी ने करो या मरो का आह्वान किया। अंग्रेजों भारत छोड़ों की आवाज सारे भारत में गूंजने लगी।
9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवक चरण सिंह ने भूमिगत होकर गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मवाना, सरथना, बुलन्दशहर के गाँवों में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। इसके अलावा युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष जोगिंदर सिंह क्षेत्रीय संगठन मंत्री मनु धारीवाल क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अनुज चौधरी आदि मौजूद रहे।