रूस-यूक्रेन युद्ध का दुनिया भर में दिखाई देने लगा असर, गैस- तेल के दामों में उछाल

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देश में हर के मन में इनदिनों एक ही सवाल है कि रूस यूक्रेन युद्ध का भारत पर क्या असर पड़ेगा ? इसका जवाब है कि यदि युद्ध बढ़ता है, तो दुनिया पर कई नकारात्मक असर पड़ेंगे। भारत भी उससे अछूता नहीं। भारत पर इस युद्ध का चहुँ तरफा असर पड़ेगा। गैस, तेल, ऊर्जा और कूटनीतिक साझेदारी
के मद्देनजर भारत प्रभावित होगा।

जंग लंबी खिंची तो कच्चे तेल का भाव और ऊपर जाएगा, जिसके बाद भारत को करीब एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है। निर्यात, निवेश,पढ़ाई प्रभावित होने लगी है। तकरीबन २० हजार भारतीय छात्र जो वहां पढ़ने गए थे स्वदेश वापस लौट रहे हैं। पढाई चाैपट। कब शुरू होगी पता नहीं । इसके अलावा 500 बिजनेसमैन हैं जो चाय, कॉफी, चावल, मसाले के व्यापार से जुड़े हैं। वहाँ केंद्रीय
विद्यालय संगठन से जुड़ा एक स्कूल भी है जिनका स्टाफ भी भारत से जाता है।कुल मिलाकर भारत की मुश्किलें आगामी दिनों में बढ़ने की प्रबल संभावना है। खासकर आम भारतीयों के लिए क्योंकि वे पहले से ही महंगाई से त्रस्त हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी हैं। विशेषज्ञों के आकलन हैं कि ये कीमतें 150 डॉलर तक उछल सकती हैं। भारत के संदर्भ में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। देश के विभिन्न शहरों में अभी पेट्रोल 95-110 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। चुनावों के कारण पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर हैं, लेकिन 7 मार्च को पांचों राज्यों
में चुनाव सम्पन्न हो जाएंगे। बाज़ार के अनुमान हैं कि 5 से 15 रुपए प्रति लीटर दामों में उछाल आ सकता है। सरकार को युद्ध और अंतरराष्ट्रीय कीमतों का बहाना मिल जाएगा, लेकिन पेट्रो पदार्थों के दाम बढ़ने से महंगाई का विस्तार होना तय है । महंगाई से त्राहि-त्राहि की स्थिति पहले से ही है। तेल और गैस के दाम बढ़े ताे हाहाकार मचना तय है। भारत 85 फीसदी तेल आयात करता है, जिसमें से ज्यादातर आयात सऊदी अरब और अमेरिका से होता है। इसके अलावा भारत, इराक, ईरान, ओमान, कुवैत, रूस से भी तेल लेता है।
दरअसल, दुनिया में तेल के तीन सबसे बड़े उत्पादक देश-सऊदी अरब, रूस और अमेरिका हैं। दुनिया के तेल का 12 फीसदी रूस में,12 फीसदी सऊदी अरब में और 16-18 फीसदी उत्पादन अमेरिका में होता हैै। यदि इन तीनों में से दो बड़े देश युद्ध जैसी परिस्थिति में आमने-सामने होंगे, तो जाहिर है इससे तेल की सप्लाई विश्व भर में प्रभावित होगी और कीमत बढ़़ेगी। एक अनुमान के मुताबिक कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से भारतीय अर्थव्यवस्था पर 8000 -10,000 करोड़ का बोझ बढ़ जाता है।
भारत खाद्य तेल की अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए यूक्रेन पर आंशिक रूप से निर्भर है। युद्ध शुरू हो जाने से भारत में खाद्य तेल की कीमत में उछाल आने की आशंका बढ़ गई है। इधर, भारत में वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में खाद्य तेल की कीमत में दोगुनी से भी ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। ऐसे में आम जनता की पहुंच से खाद्य तेल पूरी तरह से दूर हो सकता है। यूक्रेन विश्व का सबसे बड़ा परिष्कृत सूरजमुखी तेल का भी
निर्यातक है। दूसरे स्थान पर रूस है। भारत दोनों देशों से सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इसलिए इसकी उपलब्धता भारत में कम हो सकती है। यूक्रेन से भारत खाद भी बड़ी मात्रा में खरीदता है। भारत ने वर्ष 2020 में लगभग 210 मिलियन डॉलर का खाद और लगभग 103 मिलियन डॉलर का न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर यूक्रेन से खरीदा था। यूक्रेन न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर के मामले में भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसलिए मौजूदा युद्ध से भारत की न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़ी परियोजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना लाजिमी है।

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