सरकारी स्कीम का मिला लाभ और बदल गई तकदीर

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रायपुर : आमतौर पर यह धारणा है कि सरकारी योजनाओं का लाभ शहरी क्षेत्रों में ही मिल पाता है। जानकारी के अभाव या कई दूसरी वजहों से सुदूर अंचल के लोग सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले सकते, लेकिन राज्य में बीते तीन साल से तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है। अब सुदूर अंचल तक योजनाओं की जानकारी भी पहुंच रही है और इन योजनाओं का लाभ भी पहुंचाया जा रहा है। ऐसा ही कुछ बीजापुर जिले के भीतरी गांव रेड्डी में रहने वाले रत्नैया मरकाम के साथ हुआ है। कभी खेतों में पर्याप्त सिंचाई न होने पाने के कारण एक फसल भी ठीक से नहीं ले पाने वाले रत्नैया अब साल में दो से तीन बार फसल ले रहे हैं। सरकारी स्कीम के तहत सौर सुजला योजना का लाभ मिलने के बाद रत्नैया के खेत में अब खुद का सोलर सिंचाई पम्प है, ऐसे में एक बार धान के बाद दूसरी फसल के रूप में रत्नैया साग-सब्जी की पैदावार कर रहे हैं और बड़ा आर्थिक लाभ कमा रहे हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में राज्य शासन की किसान हितैषी नीति से कृषि के क्षेत्र में नए अवसर बन रहे हैं। इससे किसान जहां पारम्परिक खेती के साथ ही नवाचार की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो इन नवाचारों से आय के साधन भी बढ़े हैं। बीजापुर के किसान रत्नैया मरकाम ने भी अपने खेत में किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत नलकूप खनन करवाया और सोलर सिंचाई पम्प लगवाकर फसल उत्पादन करना शुरू किया। रत्नैया अब साल में दो या तीन फसल तक ले रहे हैं। उन्होंने साग-सब्जी उत्पादन को भी अपनाया। रत्नैया ने बताया कि अपने 3 एकड़ की भूमि पर रबी के साथ साग-सब्जी की पैदावार करते हैं। साग-सब्जी का विक्रय कर ही रत्नैया मरकाम सलाना दो से ढाई लाख रुपए तक की आमदनी कर लेते हैं। वहीं करीब 12 एकड़ भूमि में खरीफ सीजन में धान की फसल के साथ एक एकड़ में कोदो, एक एकड़ में उड़द और एक एकड़ रकबा में अरहर का उत्पादन करते हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य शासन के अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण के सहायक अभियंता मनीष नेताम ने बताया कि यह योजना उन सभी कृषकों के लिए कारगर साबित हो रही है, जो जल स्त्रोत होने पर भी खेतों में सिंचाई के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं कर पाते। इस योजना से निर्धन किसान पानी की उपलब्धता प्राप्त कर सिंचाई के जरिए बेहतर पैदावार ले सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

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