अनूठी आस्था: वृंदावन में भगवान कृष्ण भी पढ़ने के लिए जाते हैं स्कूल

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दिल्ली के मूल निवासी 65 साल के रामगोपाल बच्चों की शादी करने के बाद सात साल पहले पत्नी के साथ वृंदावन आकर बस गए। वह बाल गोपाल को दूसरा बेटा मानते हैं। बाल गोपाल को वह हर पल अपने साथ रखते हैं। दूसरे बच्चों को देख उनके मन में बाल गोपाल को पढ़ाने का विचार आया। भगवान को तैयार करके स्कूल में पढ़ाने के लिए रामगोपाल रोज ले जाते हैं, लंच और पानी की बोतल भी दी जाती है।
रामगोपाल एक दिन अपने बाल गोपाल के साथ वृंदावन के इस्कॉन मंदिर गए थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात विदेशी कृष्ण भक्त महिला से हुई। रामगोपाल को उदास देख उस महिला ने उनके दुखी होने का कारण पूछा। इस पर उन्होंने बताया कि वह दूसरे बच्चों की तरह अपने बाल गोपाल को स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। रामगोपाल का भाव देखकर महिला ने उनको बताया कि वह अपने बाल गोपाल को संदीपन मुनि के स्कूल में पढ़ाएं।
रामगोपाल अगले दिन अपने बाल गोपाल को लेकर वृंदावन के चैतन्य विहार इलाके में स्थित संदीपन मुनि स्कूल पहुंच गए। यहां उनकी मुलाकात स्कूल की प्रिंसिपल दीपिका शर्मा से हुई। रामगोपाल ने जब प्रिंसिपल को कहा कि वह भगवान को पढ़ाना चाहते हैं, तो दीपिका हैरान हो गईं। मगर, रामगोपाल जिद करने लगे। इसके बाद प्रिंसिपल ने कहा कि वह अपने बाल गोपाल का आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और अन्य डॉक्यूमेंट लेकर आएं। यह सुनकर रामगोपाल परेशान हो गए। तभी स्कूल के संस्थापक और इस्कॉन भक्त रूपा रघुनाथ दास वहां आ गए।
रूपा रघुनाथ दास ने जब रामगोपाल को परेशान देखा। उन्होंने कहा कि एडमिशन तो नहीं कर सकते, मगर आप बाल गोपाल को पढ़ने के लिए भेजिए। इसके बाद रामगोपाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। स्कूल में पहुंचने के बाद बाल गोपाल का नामकरण भी हो गया। यहां बाल गोपाल का नाम रखा गया मुच्चउ गोपाल। भगवान का नया नामकरण होने के बाद मुच्चउ गोपाल बाकी बच्चों की तरह कक्षा में बैठने लगे। शिक्षिका बच्चों के साथ-साथ मुच्चउ गोपाल को भी पढ़ाने लगी।
शिक्षिका बाल गोपाल को भी क ख ग, ए बी सी डी और 1, 2, 3, 4 के अलावा अन्य विषय पढ़ाती हैं। दूसरे बच्चों की तरह रामगोपाल अपने भगवान मुच्चउ गोपाल को सुबह तैयार करते हैं। इसके बाद स्कूल का ई-रिक्शा आता है और फिर रामगोपाल भगवान को लेकर स्कूल पहुंच जाते हैं। जब भगवान की कक्षा में होते हैं तो रामगोपाल बाहर बैठकर भजन करते हैं।

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