हर किसी में वफा नहीं होती, कोई-कोई दगा भी करता है…

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लव इंडिया, संम्भल: नगर के मिशन इंटरनेशनल एकेडमी स्थित बज़्मे इंतेखाब के तत्वावधान में वरिष्ठ शायर सुल्तान मोहम्मद खां कलीम के सम्मान में आयोजित “एक शाम-सुल्तान मोहम्मद खां कलीम के नाम” शीर्षक से ऑल इंडिया मुशायरे का आयोजन किया गया जिसमे दूरदराज एवं मकामी शायरों ने अपने कलाम पेश किये।

मुशायरे में रिज़वान मसरूर ने सुल्तान मोहम्मद खां कलीम की अदवी सेवाओं पर रोशनी डाली। मुशीर खां तरीन तौफ़ीक़ आज़ाद,वक़ार रोमानी,डॉ यूसी सक्सेना, आदि ने शॉल व शील्ड देकर सम्मानित किया। इसके बाद हाफिज़ तंजीम आलम व शाहनवाज़ खां ने फीता काटकर मुशायरे का उद्घाटन किया। मोहम्मद आफताब व मुश्फिक एडवोकेट ने शमा रोशन की। मुशायरे का आगाज नाते पाक से करते हुए इंतेखाब सम्भली ने कहा- दिल में ईमान की शम्मा तुम जलाए रखना, रिश्ता हर हाल में आका से बनाए रखना।

इसके बाद गजल के दौर का आगाज़ करते हुए रफी बडापूरी बिजनौर ने कहा- चेहरे पर नूर आपके शर्मो हया का है, या फिर असर यह आपकी मां की दुआ का है। जमाल हसनपुरी ने कहा- ज़हनो दिल पर यह कैसा असर कर गया, मेरे बेचैन सशामों सहर कर गया। अनुराग मिश्रा गैर अमरोही ने कहा- रूप तेरा सदा रहा मुझमें, फूल जैसे खिला रहा मुझमें। नवील मकरानी ने कहा-हर किसी में वफा नहीं होती,कोई कोई दगा भी करता है।

शाह आलम रौनक ने कहा-खुशी की बात तो यह है कि आप के घर में,खुदा ने बेटी को रहमत बनाके भेजा है। रिक अदा फीरोजाबाद ने कहा- हमें झूठे वादों से बहलाने वाले, नहीं तेरी बातों में आने वाले। अलीम वाजिद रुड़की ने कहा -इज्जत तलाश करते हैं मैंयार बेचकर,कितने अमीर हो गए किरदार बेचकर। मुकीत आगाज गिन्नौरी ने कहा- सियासत में पाया उन्हीं ने मुकाम,जो सर दुश्मनों के कुचलते रहे। महेंद्र सिंह अश्क ने कहा- इस तरह तर्के ताल्लुक से तो मर जाऊंगा, मुझसे मत मिलना मेरे गांव तो आते रहना। तनवीर फिरोजाबादी जी ने कहा- दिल से हर नक़शे मोहब्बत को मिटाने वाले,मुड़के क्यों देख लिया आपने जाते-जाते।

अजीम आदिल ने कहा- ए दिल तेरे रोने का यहां किसी पे असर है, इस शहर के लोगों का तो पत्थर का जिगर है। शमशाद्री नगरी ने कहा- है मकां फिर तेरा घर जन्नत निशा हो जाएगा, मशवरा यह है कि बीबी खानदानी ढूंढना।अल्ताफ जिया ने कहा- रास्ते चुभ रहे हैं तलवों में, किस तरह अब सफर करें कोई। फ़ैज़ खुमार बाराबंकी ने कहा-तुम्हें ना खुद को जागना पड़ेगा, वसीम झनझानवी ने कहा- चमन में फूलों की रंगत उदास रहती है, तेरे बगैर तबीयत उदास रहती है।

सुल्तान अजहर मुरादाबादी ने कहा- यह परेशानी यह वैशाख यह घुटन देखेंगे, हम भी यह दिल इश्क तेरे चाल चलन देखेंगे।फैजी को नूरी ने कहा एक दूसरे से आगे निकलने की हिरास में हम अपनी मंजिलों से भी आगे निकल गए अली बाराबंकी भी ने कहा मैं तूफान को हारना चाहता हूं भंवर में कश्ती लाना चाहता हूं। मुशायरे का संचालन कर रहे हैं हिलाल बदायूंनी ने कहा- मुकद्दर में हमारे कब है बिस्तर, सफर में नींद पूरी कर रहे हैं।

देर रात तक चले मुशायरे में मोहम्मद सुल्तान खां,उस्मान अंसारी,इंतेख़ाब आलम,शमशाद अलीनगरी, कलीम,सैय्यद हुसैन अफसर,आरिफ बछरायुनी,कौसर सम्भली,शुजा अनवर, मुजम्मिल खां मुजम्मिल, अली बाराबंकी आदि ने अपने कलाम पेश किए। इस अवसर पर तंजीम आलम सैफ़ी,यूसी सक्सेना, शफ़ीक़ बरकाती, इम्तियाज़ खान,डॉ सलमान गुन्नौरी, प्रधान, मशहूद फारूकी एडवोकेट, आफताब हुसैन को अवार्ड देकर सम्मानित किया। मुशायरे में चौधरी वसीम एडवोकेट,शारिक जीलानी, ज़ियाउससहर रज़्ज़ाकी, फैजान रिज़वी, ताहिर सलामी, आदि शामिल रहे। मुशायरे की अध्यक्षता मुशीर खां तरीन व संचालन हिलाल बदायुनी एवं शाह आलम रौनक़ ने संयुक्त रूप से किया। अन्त में बज़्मे इंतेखाब के अध्यक्ष इंतेखाब सम्भली ने सभी एक आभार व्यक्त किया।

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