बिना भोजन के रह सकते हैं, बिना लेखन के नहीं… कलम बरेली की-3 के लेखक निर्भय सक्सेना

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लव इंडिया, बरेली। साहित्य लेखन में दो प्रकार के कलमकार सक्रिय रहते हैं एक तो वे जो शौकिया लिखते हैं, तदर्थ लेखन यदा कदा करते रहे हैं जब मन में कुछ भाव आये उन्हें कागज पर उकेर दिया। पाठकों को पाठ्य सामग्री परोसते वाले ऐसे साहित्यकार हर तीज त्यौहार, उत्सव व पर्व तथा महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और राजनीतीक घटनाओं को अपना प्रति पाद्य विषय बनाते हैं। दूसरे वे साहित्यकार जो सतत लेखन में लीन रहते हैं वे बिना भोजन के रह सकते हैं बिना लेखन के नहीं । इनका कोई एक प्रतिपाद्य विषय नहीं होता वरन लेखन में विविधता होती है। ये लोग लिखते हैं तो लिखते ही चले जाते हैं। एकाध दिन लिखने को न मिले तो ये बेचैन हो जाते हैं। ऐसी कुछ बात ऐसे ही लेखकों के विषय में कही गयी है- इतना आदि हुआ है चलने का, बैठते ही थकान होती है। लेखन की राह के ऐसे ही कुशल यात्री है- श्री निर्भय सक्सेना पत्रकार। साहित्यकार बरेली को केन्द्र में रख कर “कलम बरेली की” वार्षिक पत्रिका निकाल रहे हैं। अब पत्रिका का तीसरा अंक मेरे हाथ में है।

पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर छपा कुतुबखाना घंटाघर और प्रस्तावित लाइट मैट्रो के साथ उच्च स्तरीय सड़क और पांचाल के टीले का चित्र । भविष्य की बरेली स्मार्ट बरेली विकसित बरेली और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बरेली का परिचय कराता है। गतिविधियों में सक्रियता और बरेली की महान विभूतियों के साथ उनके चित्र उनके जीवन्त और संवेदनशील होने का प्रमाण हैं। बरेली नाथ नगरी कहलाती है बरेली सब ओर शंकर जी के मंदिर स्थापित हैं। धोपेश्वर नाथ, तपेश्वर नाथ, अलखनाथ, बनखण्डी नाथ, मढ़ीनाथ, त्रिवटीनाथ खांडसारी नाथ और पशुपति नाथ के मंदिरों से रक्षित बरेली शैव संस्कृति के रंग में रंगी है। सारे मंदिरों को जोड़ने वाला अब नाथ पथ भी तैयार हो रहा है। इसके अतिरिक्त लक्ष्मीनारायण मंदिर, जिसे चुन्ना मियां के मंदिर के रूप में जाना जाता है, हरीमंदिर, बांके बिहारी मंदिर, रघुनाथ मंदिर,रामायण मंदिर, आनन्द आश्रम, तिरूपति वैंकटेश्वर का मंदिर आदि आदि पूजा अर्चन के स्थल हैं। बरेली में वर्ष पर्यन्त सत्संग के कार्यक्रम चलते रहते हैं। निर्भय सक्सेना जी ने इस सबका वर्णन करने के साथ ही अयोध्या धाम में बन रहे श्री रामलला के मंदिर की कुछ महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित किया है। अमरनाथ धाम की यात्रा का वृतांत भी विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।

बरेली के अतीत के गौरव का प्रमाण काष्ठ कला केन्द्र हैं। जहां काष्ठ फर्नीचर के बनाने की तकनीकी शिक्षा भी प्रदान की जाती थी। निर्भय जी ने एक आलेख में जनपद बरेली के स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों का पूर्ण परिचय भी दिया है। यह आलेख निश्चय ही एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। बरेली लखनऊ और देहली के बिल्कुल बीच में स्थित है। निर्भय जी ने किसी कवि की ये पंक्तियां देकर बरेली का परिचय दिया है-लखनऊ शर्क गर्व देहली हैदोनों शहरों का दिल बरेली है स्वतंत्रता संग्राम में बरेली के रण बांकुरों की बहादुरी का परिचय भी इस पत्रिका में उपलब्ध है। बांस बरेली के सरदार के रूप में जाने गये सेठ दामोदर स्वरूप के योगदान की चर्चा है।

बरेली को सर्वश्री राम मूर्ति, पं. दरवारी लाल शर्मा, प्रताप चन्द आजाद, जगदीश शरण अग्रवाल, बृज मोहन लाल शास्त्री, धर्मदत्त बैध, अब्दुल बाजिद, मोहन लाल यदुवंशी, पं. दीनानाथ मिश्र आदि हैं। बाद में अगली पीढ़ी के बाबू सत्य प्रकाश एम.ए., राजाराम बी. ए., पं. रामाबल्लभ मिश्र, संतोष गंगवार, डा. दिनेश जौहरी, डा. अरूण सक्सेना, भगवत शरण, इस्लाम साबिर, प्रो. कृपा नन्दन, प्रो. नारायण श्रीवास्तव, नत्थू लाल श्रीवास्तव, आदि राजनेता रहे हैं। बरेली स्मार्ट सिटी बन रहा है इसका विस्तृत परिचय देते हुए निर्भय जी बरेली के भविष्य की झांकी प्रस्तुत की है।

बरेली कलम की घनी रही है

बरेली के साहित्यिक गौरव का चित्रण भी निर्भय जी ने किया है। पुरूषों ने ही नहीं महिलाओं ने भी साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में अपनी भूमिका का निर्वाह किया। विदुर्षी आचार्या डा. सावित्री जी राष्ट्र की गौरव थी। बरेली उनकी कार्यभूमि रही है। हिन्दी कवि समाज इन महिलाओं को आगे बोलने की दिशा में सक्रिय रहा है। श्रीमती शांति अग्रवाल, कृष्णा खंडेलवाल, मृदुला शर्मा, महाश्वेता चतुर्वेदी आदि अपने युग की प्रतिनिधि महिलाएं हैं। डा. उषा मिश्र भी प्रमुख महिला थी। डा. निर्मला सिंह कहानी लेखन में सतत सक्रिय रही हैं। डा. उषा उप्पल ने अच्छे उपन्यास लिखे हैं। निरुपमा अग्रवाल भी लेखन में रही।

प्रमुख साहित्यकारों में डा. मधुरेश, हरीशंकर सक्सेना, डा. हरीशंकर शर्मा, मुरारीलाल सारस्वत आदि ने सक्रियता बनाए रखी है। श्री राम प्रकाश गोयल, ब्रजराज शरण पाण्डेय, किशन सरोज, डा. सुरेश बाबू मिश्रा का साहित्य भूषण पुरस्कार से अलंकृत किया गया है। सम्प्रति रमेश गौतम, लवलेश दत्त, नितिन सेठी, रणजीत पांचाले लेखन में सक्रिय हैं। मेरा सुझाव है कि अब आप कलम बरेली में पूर्णतः प्रकाशित और कुछ नये लेखों का समावेश करते हुए विभिन्न शीर्षकों के अध्ययन से इस पत्रिका के अंक निकालें। यह प्रयास बरेली के विषय में शोध करने वाले छात्र छात्राओं के संदर्भ ग्रन्थ के रूप में सहायक होगी। आपके सतत सक्रिय रहने की कामना करने हुए मैं आपके इस प्रयास की सराहना करता हूं।

नोट: कलम बरेली की-3″ लेखक निर्भय सक्सेना का एक समीक्षात्मक विवेचन हैं प्रो. एन.एल.शर्मा, पूर्व प्राचार्य,बरेली कालेज, बरेली

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