कांग्रेस को नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय की 179 सीटों में से मात्र 10 सीटें

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नई दिल्ली। 2 मार्च को पूर्वोत्तर के तीन राज्य नागालैंड, त्रिपुरा और मेघालय के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। इन तीनों राज्यों में सात सात सीटें हैं। मेघालय में एक सीट पर चुनाव नहीं हो सका। इसलिए कुल 179 सीटों के परिणाम सामने आए हैं। इन 179 में से कांग्रेस को मात्र दस सीटें मिली हैं। जबकि भाजपा को 75 से ज्यादा सीटें मिल रही हैं। नागालैंड में चालीस और त्रिपुरा में 34 सीटें प्राप्त कर भाजपा ने सरकार बनाना सुनिश्चित कर लिया है। जबकि मेघालय में क्षेत्रीय दल एनपीपी 25 सीटें हासिल कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है। यहां भाजपा को 8 सीटें मिली है, लेकिन चुनाव परिणाम के साथ ही असम के मुख्यमंत्री और पूर्वोत्तर राज्यों के चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले हेमंत सरमा सक्रिय हो गए हैं। शर्मा ने एनपीपी के प्रमुख कोनराड संगमा से संपर्क स्थापित किया है। माना जा रहा है कि भाजपा के सहयोग से एनपीपी की सरकार मेघालय में बनेगी। हालांकि यहां 17 निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं, लेकिन कांग्रेस को मात्र पांच सीटें मिली हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मेघालय में पूरी ताकत लगाई थी, लेकिन टीएमसी को मात्र 9 सीटें मिली हैं।

त्रिपुरा:त्रिपुरा में भाजपा की जीत इसलिए भी मायने रखती है कि यहां भाजपा को हराने के लिए लेफ्ट और कांग्रेस ने गठबंधन किया था। लेकिन इसके बावजूद भी लेफ्ट कांग्रेस गठबंधन को 17 सीटें ही मिल पाई। इसके मुकाबले टीएमसी को 11 सीटें मिली हैं। टिपरा मोथा उर्फ राजा साहब ने भाजपा को समर्थन देने के संकेत दिए हैं। राजा साहब की यह पार्टी नागालैंड में अलग आदिवासी राज्य की मांग करती रही है। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद राजा साहब ने आदिवासी राज्य की मांग छोड़कर कहा है कि जो पार्टी आदिवासियों की भलाई के काम करेगी, उसे समर्थन दिया जाएगा। माना जा रहा था कि भाजपा को एंटी इनकंबेंसी का भी नुकसान होगा। लेकिन परिणाम बताते हैं कि भाजपा त्रिपुरा में अपनी सरकार रिपीट करवाने में सफल रही है। लेफ्ट के साथ गठबंधन करने पर भी कांग्रेस को मात्र 5 सीटें हासिल हुई है।

नागालैंड: नागालैंड की 60 सीटों में से भाजपा को 40 सीटें मिली हैं। यह अन्य दलों को 15 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस एक सीट भी हासिल नहीं कर सकी है। नागालैंड में भाजपा की जीत इस लिए भी मायने रखती है कि चुनाव प्रचार के दौरान चर्चा से सांप्रदायिक ताकतों को हराने की अपील की गई थी। लेकिन इसके बावजूद भी भाजपा गठबंधन ने चालीस सीटे प्राप्त कर यह साबित किया है कि नागालैंड के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा करते हैं।

कांग्रेस को झटका

उत्तर पूर्व के तीन राज्यों के चुनाव नतीजे कांग्रेस को जबरदस्त झटका है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद यह पहला अवसर रहा जब तीन राज्यों के चुनाव नतीजे सामने आए। 179 सीटों में से मात्र 10 सीट मिलना यह दर्शाता है कि कांग्रेस की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है। त्रिपुरा में लेफ्ट का खासा प्रभाव है, इसलिए कांग्रेस ने लेफ्ट के साथ गठबंधन भी किया, लेकिन त्रिपुरा के मतदाताओं ने लेफ्ट और कांग्रेस के गठबंधन को नकार दिया। भारत जोड़ो यात्रा के बाद छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस का जो महाधिवेशन हुआ उसमें कांग्रेस ने यही दिखाने का प्रयास किया कि देश में प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में कांग्रेस ही है। इसलिए अन्य क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस के झंडे के नीचे आना चाहिए। खुद राहुल गांधी ने भी यात्रा को कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि बताया। किसी भी राजनीतिक दल की गतिविधियों का परिणाम चुनाव के समय ही सामने आता है। तीन राज्यों के नतीजे बताते हैं कि उत्तर पूर्व में राहुल की यात्रा का कोई असर नहीं हुआ है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इन तीन राज्यों में पांच लोकसभा की सीटें हैं। भाजपा को जिस तरह से सफलता मिली है, उससे प्रतीत होता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति मजबूत रहेगी। सवाल यह भी है कि लगातार कमजोर हो रही कांग्रेस विपक्षी दलों का नेतृत्व किस प्रकार से करेगी? राजनीतिक मंच पर किसी दल का महत्व तभी होता है, जब जब आम जनता में उसकी पकड़ मजबूत हो। इसी वर्ष देश के छह राज्यों के विधानसभा के चुनाव होने हैं। इनमें से कई राज्य तो ऐसे हैं जिनसे राहुल की भारत जोड़ो यात्रा गुजरी है। देखना होगा कि आने वाले चुनावों में कांग्रेस को कितनी सफलता मिलती है।

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