शिवरात्रि सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि जीवन दर्शन

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हमारे देश में जितने भी पर्व त्योहार मनाए जाते हैं,उन सब की यह विशेषता होती है कि वह हमें जीवन का अर्थ और जीवन जीने की कला सिखाते हैं इन्हीं में एक पर्व है शिवरात्रि…!

माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत शिवरात्रि वाले दिन हुई थी !!और इसी दिन भगवान शिव और माँ पार्वती का विवाह हुआ था!! भगवान शिव देवों के देव हैं इसीलिए उन्हें महादेव कहा जाता है !! उनका व्यक्तित्व बड़ा विलक्षण(Remarkable) है!! भगवान शिव के अंदरुनी व्यक्तित्व को समझना तो असंभव है नेति नेति..!!!! लेकिन उनके बाहरी स्वरूप को देखकर दिव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है!! भगवान शिव के प्रतीक(तीसरी आँख,चन्द्रमा,माँ गंगा,कंठ में विष, त्रिशूल, डमरू)बहुत ही गहरे जीवन दर्शन को हमें समझाते हैं!!

Lessons from शिवरात्रि:
भगवान शिव का तृतीय नेत्र तृतीय नेत्र हमारा आज्ञा चक्र भी है और यह हमें विवेकशील बनाता है क्योंकि प्रत्यक्ष आँखों और इंद्रियों से देखी चीज हमेशा सच नहीं होती!! अर्थात्‌ किसी भी बात को, किसी भी चीज को कहीं से भी देख सुन लेने पर उसे सच नहीं मानना चाहिए !!हर बात को गहराई में उतरकर समझने की कोशिश करनी चाहिए!

चंद्रमा और जटाओं में माँ गंगा
चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है हमारे जीवन में जितने भी लड़ाई झगड़े हैं उनका ज्यादातर कारण गुस्सा, नफरत ईर्ष्या ,तुलना होते हैं!! चंद्रमा का ध्यान करने पर हम शांत रहते हैं!!

कंठ में विष
अर्थात हमें किसी के साथ हुई कड़वाहट और बुरे अनुभव को ना ही तो बाहर सबसे बांटना चाहिए और न ही भीतर ले जाना चाहिए!! उसे उसकी एक सीमा में रखकर ही solution सम्भव है!!! जैसे अगर किसी से कोई भी मतभेद है तो जरूरी नहीं उसकी चर्चा सबके सामने करते हुए उस बात को और बिगाड़ा जाये और ना ही उस बात को दिन-रात अपने चिंतन का विषय बनाएं !! शांत मन से हर बात का समाधान हमें जरूर मिलता है!!

त्रिशूल तीन लोक ( धरती, आकाश, पाताल)
तीन गुण ( सत , रज, तम)
तीन नाड़ियों ( इड़ा , पिंगला, सुषुम्ना) के संतुलन(balance) का प्रतीक है!!
इन तीनों का जब संतुलन बना रहता है तब सृष्टि भी संतुलित रहती है और हमारे जगत की व्यवस्था भी!! डमरु संगीत का उल्लास खुशी जागृति का प्रतीक है भगवान शिव संगीत के जनक माने गए हैं संगीत वह शक्ति है जिससे हमारे जीवन में रस है आनंद है, अध्यात्म है, नाद है!! जब हम थकने लगते हैं निराश हो जाते हैं हताश हो जाते हैं तब संगीत हमें नई ऊर्जा देता है!!

एक और भगवान शिव परम कल्याणकारी हैं, भोले हैं ,भंडारी हैं तो वहीं दूसरी और तांडव करने वाले महारुद्र भी हैं……! इसीलिए उन्हीं की तरह हमें भी श्रेष्ठ को अपनाना चाहिए लेकिन अगर कहीं अनीति है तो वहाँ लड़ना चाहिए..!



महादेव गृहस्थ भी हैं वीतरागी आदियोगी भी हैं !!!उनका यह गुण संदेश देता है कि ईश्वर की भक्ति के लिए संसार त्यागना जरूरी नहीं है त्याग तो हमें अपनी बुराइयों का, अहंकार का करना है !!

कैलाशवासी शिव एक और तो परम पवित्र हिमालय में तपस्या में लीन हैँ वहीँ दूसरी और भूतगणों के साथ श्मशान में निवास करते भी माने जाते हैं…!!! अर्थात हमें भी हर परिस्थिति चाहे शांत चाहे अशांत में सबके साथ तालमेल, सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ना चाहिए!!! भगवान शिव सम्यक दृष्टि(well-balanced vision)की शिक्षा भी देते हैं !!!
भगवान शिव का व्यक्तित्व समग्रता(totality) का प्रतीक है जो हमारे जीवन को ऐसी Philosophy प्रदान करता है जो हमारे व्यक्तित्व को उच्चतम शिखर तक ले जाने की संभावना रखता है!! भगवान शिव का चरित्र हमारे लिए आदर्शों की पराकाष्ठा है (peak of idealistic approach)
यह सृजन से संहार तक, जीवन से मृत्यु तक, संसार से वैराग्य तक का ब्रह्मज्ञान है !!भगवान शिव के व्यक्तित्व का यदि एक अंश मात्र भी हम अपने जीवन में धारण कर सकें तो कल शिवरात्रि का यह महापर्व हमारे अंदर क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है…!

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