RTO: परमिट विभाग के कक्ष में लोहे का दरवाजा लगाकर क्या छिपा रहे हैं ‘साहब’

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लव इंडिया,मुरादाबाद। लीजिए अब आरटीओ के परमिट विभाग के कक्ष में भी लोहे का दरवाजा लगा दिया गया लेकिन क्यों…? आखिरकार ऐसी नौबत आई क्यों और सवाल यह है कि लोहे का दरवाजा लगाकर संभागीय परिवहन विभाग क्या छुपा रहा है या यूं कहिए क्या छुपाने की कोशिश कर रहा है।

कहावत है कि कचहरी की ईट-ईट पैसा मांगती है लेकिन यह खबर कचहरी की नहीं है बल्कि उस विभाग से जुड़ी है जो आपको सड़क पर वाहन चलाने के लिए अनुमति देता है अर्थात टैक्स लेता है, परमिट देता है और वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस भी और इस विभाग को आम आदमी आरटीओ के नाम से जानता है।

मुरादाबाद में आरटीओ कार्यालय संभल रोड पर आजाद नगर के पास स्थित है। यूं कह लीजिए कि आरटीओ कार्यालय की वजह से ही यहां जंगल में मंगल है क्योंकि आरटीओ का कार्यालय बंद होते ही यहां सन्नाटा छा जाता है।

आरटीओ कार्यालय में सुबह से शाम तक एक- दो नहीं बल्कि सैकड़ों और कभी-कभी तो हजार की तादात में लोग पहुंचते हैं क्योंकि स्कूटी, बाइक, कार और ट्रक आदि वाहनों के लिए यहीं से सब काम होते हैं। यही कारण है कि आरटीओ कार्यालय में सुबह से ही जमघट लग जाता है।

ऐसे में आरटीओ कार्यालय में सुबह से ही आने-जाने वालों का तांता लगा रहता है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आरटीओ के हर कार्यालय के अंदर और बाहर सिर्फ ‘सुविधा शुल्क’ का राज है अर्थात बिना पैसे के कोई काम नहीं होता लेकिन आरटीओ का दावा है कि यहां ऐसा कुछ नहीं है। मगर एकाएक परमिट विभाग के कमरे में लोहे का दरवाजा लगा दिए जाने से सबकुछ उल्टा पुलटा हो गया।

विभाग के कर्मचारियों में ही यह चर्चा है कि परमिट विभाग में सबकुछ गोलमाल है और यहां पर सुविधा शुल्क का खुलेआम खेल चलता है। इसमें कई प्राइवेट कर्मी भी शामिल हैं जो साहब के करीबी हैं। अभी कुछ दिन पहले अनूप नाम के प्राईवेट कर्मचारी का वीडियो वायरल भी हुआ था और इसमें आरटीओ की काफी जगहंसाई हुई थी। नाम ना छापने की शर्त पर कुछ अधिकारी और कर्मी कहते हैं कि इसी खेल को रोकने के लिए परमिट विभाग के कक्ष पर लोहे का दरवाजा लगा दिया गया है। साथ ही इसके पीछे अपने करीबी प्राइवेट कर्मियों को संरक्षण देना भी शामिल है।

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