आखिर उनके प्रभु श्रीराम का आर्शीवाद उन्हें मिल गया था

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श्री अरुण गोविल जी का यह वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक दंपत्ति हवाई अड्डे पर उनके चरण स्पर्श कर रहे हैं। उनमें जो भद्र महिला हैं, वे साष्टांग प्रणाम की मुद्रा में हैं। अरुण जी उनका भक्तिभाव और प्रेम पाकर आश्चर्यचकित दिख रहे हैं। हालांकि उन्हें तो अभ्यास होगा, क्योंकि जनमानस में श्री राम की जो छवि है उसमें वे ही विराजमान हैं।

वीडियो देखकर अभिभूत हूँ, मन भर आया है। विशेषकर उन महिला के प्रति अनन्य सम्मान उत्पन्न हुआ। ऐसा निर्मल भाव, निश्शंक समर्पण, इतना शुद्ध अंतः करण कहाँ देखने को मिलता है।

कौन नहीं जानता कि अरुण जी अभिनेता हैं, और वे भी असहज अनुभव करते हैं, जब लोग चरण छूते हैं। क्योंकि उन्हें एहसास है कि वे साधारण मनुष्य ही हैं। लेकिन यह भाव मन में होना भी अद्भुत है। वरना जरा सा धन, पद अथवा प्रतिष्ठा पाते ही, दूसरों को अपने पैरों में झुकाने को लोग उद्धत हो उठते हैं। जिसका मन इतना साफ हो उस पर ही राम कृपा होती है।

मैं हमेशा कहता हूं की राम भारत के प्राण हैं। हमारे नायक सदा वे ही रहेंगे, क्योंकि हम उनके मर्यादा पुरुषोत्तम रूप से प्रेम करते हैं। भारतीय मनुष्य हमेशा शुद्धता, मर्यादा, उत्तम आचरण, वचन निष्ठता, कर्तव्य परायणता आदि गुणों का सम्मान करता है। आज भी सबको श्री राम जैसे पुत्र की कामना होती है। हमें निष्कपट वीरता प्रभावित करती है, क्योंकि छल छिद्र जिसमें हो, वह विजेता होकर भी हमारा नायक नहीं हो सकता।

वीडियो के अंत में आपने गौर किया होगा कि, उन्होंने आशीर्वाद नहीं दिया, बल्कि स्वयं भी मातृशक्ति को प्रणाम किया एवं उन्हें रामनामी चादर ओढ़ाई। वे जानते हैं, कि यह भक्ति यह प्रेम तो प्रभु के लिए है, सो आशीर्वाद देने के अधिकारी भी वे ही हैं, परन्तु ऐसे उच्चकोटि के भक्त का सम्मान तो कर ही सकते थे, सो किया।

मित्रों, यह छोटी सी घटना भारतवर्ष को समझने के लिए पर्याप्त है। हजारों सालों से यह निश्छल भक्ति हमारी ताकत रही है, ये संस्कार इस सभ्यता की नींव हैं। दुनिया का कोई भी वाद, कोई सोच इसे डिगा नहीं सकती। मुझे हर्ष है कि मैं उस सनातन में जन्मा जहां ईश्वर से डरा नहीं जाता, उसे प्रेम किया जाता है, उसके साथ बातें की जाती हैं, और निष्काम भाव से स्वयं को समर्पित किया जाता है।

महिला ने यही शाल अपने बीमार पति को पहनाई…. और दोनों ही खूब जोर जोर से रोये…. आखिर उनके प्रभु श्रीराम का आर्शीवाद उन्हें मिल गया था। जय श्री राम।

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