नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानें उपाय और पूजन विधि

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ज्योतिष आचार्य पंडित अखिलेश पांडेय। मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरूप हैं, जो काफी भयंकर है. इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में विद्युत की अद्भुत माला है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा है. गधा देवी का वाहन है. ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं.

काफी भयंकर स्वरूप है मां का यह

मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरूप हैं, जो काफी भयंकर है. इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में विद्युत की अद्भुत माला है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा है. गधा देवी का वाहन है. ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा 02 अक्टूबर को की जाएगी.

कब है सप्तमी तिथि?

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शनिवार, 01 अक्टूबर को रात 08 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होगी और रविवार, 02 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन के सारे दुख, सारे संकट खत्म हो सकते हैं.

मां कालरात्रि की पूजा विधि?

नवरात्रि के सातवें दिन मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं. देवी को लाल फूल अर्पित करें. साथ ही गुड़ का भोग लगाएं. देवी मां के मंत्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें. फिर लगाए गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें. बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें.

मां कालरात्रि कथाएक पौराणिक कथा के अनुसार, एक रक्तबीज नाम का राक्षस था। मनुष्य के साथ देवता भी इससे परेशान थे।रक्तबीज दानव की विशेषता यह थी कि जैसे ही उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरती तो उसके जैसा एक और दानव बन जाता था। इस राक्षस से परेशान होकर समस्या का हल जानने सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव को ज्ञात था कि इस दानव का अंत माता पार्वती कर सकती हैं।भगवान शिव ने माता से अनुरोध किया। इसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति व तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस रूप में मां पार्वती कालरात्रि कहलाई।

मां कालरात्रि आराधना मंत्र

‘ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।’दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।मां कालरात्रि का प्रिय भोग-मां कालरात्रि को गुड़ व हलवे का भोग लगाना चाहिए, इससे वे प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

माँ कालरात्रि की आरती

– कालरात्रि जय महाकाली नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है, माँ कालरात्रि की यह अत्यंत महत्वपूर्ण आरती कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।काल के मुह से बचाने वाली ॥दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।महाचंडी तेरा अवतार ॥पृथ्वी और आकाश पे सारा ।महाकाली है तेरा पसारा ॥खडग खप्पर रखने वाली ।दुष्टों का लहू चखने वाली ॥कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥सभी देवता सब नर-नारी ।गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥ना कोई चिंता रहे बीमारी ।ना कोई गम ना संकट भारी ॥उस पर कभी कष्ट ना आवें ।महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥तू भी भक्त प्रेम से कह ।कालरात्रि माँ तेरी जय ॥

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