उत्तर प्रदेश में लचर पैरवी के चलते हो रही थी योगी सरकार की थू-थू, पहली बार एक साथ हटा गए 900 से ज्यादा सरकारी वकील

Uttar Pradesh अपराध-अपराधी युवा-राजनीति

लव इंडिया, लखनऊ। सीएम योगी ने न्याय-विभाग में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। न्याय-विभाग में सुधार और अयोग्य वकीलों को हटाने के लिए स्क्रीनिंग शुरु हो चुकी है। सरकारी वकीलों की नियुक्ति और उनके परफॉर्मेंस के आधार पर स्क्रीनिंग हो रही है। लंबे समय से इन विभागों में जमे हुए वकीलों को लेकर भी सीएम सख्त हैं। यूपी के कानून विभाग में बंपर बर्खास्तगी हुई है। यूपी में पहली बार 841 सरकारी वकील बर्खास्त किए गए है। इससे इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर लखनऊ और जिला मुख्यालय तक हाहाकार मचा है। अपर महाधिवक्ता से लेकर ब्रीफ होल्डर तक बर्खास्त किए गए बताए जा रहे हैं । इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच में बर्खास्तगी हुई हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने 841 राज्य विधि अधिकारियों यानी सरकारी वकीलों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए सभी सरकारी वकीलों की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं। यह आदेश विधि एवं न्याय विभाग के विशेष सचिव निकुंज मित्तल की तरफ से जारी किया गया है।

मालूम हो कि सरकारी वकीलों की लचर पैरवी से अदालत में सरकार और न्याय विभाग की लगातार किरकिरी हो रही है। सरकार को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि सरकारी वकीलों और वादधारकों का काम ठीक नहीं है। लिहाजा, विभाग ऐसे वादधारकों का बकायदा इंटरव्यू लेकर परखने की कोशिश की जा रही है। वादधारकों की स्क्रीनिंग में उनसे कानून और उनके अनुभव के बारे में जानकारी ली जा रही है। रिट और भारतीय संविधान के अनुच्छेदों के बारे में सवाल किए जा रहें है। इतना ही नही उनके नियुक्ति किसके जरिए हुई, इस बारे में भी सवाल पूछा जा रहा है। सीएम के पास सूचना पहुंची है कि तमाम सरकारी वकील कोर्ट तक नहीं जाते हैं। उनकी ओर से प्रति शपथ पत्र समय से दाखिल नहीं किए जा रहे हैं। इसकी वजह से सरकार के वरिष्ठ अफसर अक्सर अदालत में तलब कर लिए जाते हैं। सरकार की छवि धूमिल होती है, सो अलग। सरकार को यह भी सूचना मिल रही थी कि सरकारी वकील कोर्ट नहीं जाते हैं और अपने सीनियर से मिलकर उपस्थिति दर्ज करवा लेते हैं।

फिलहाल, यूपी के कानून विभाग में बंपर बर्खास्तगी हुई है। यूपी में पहली बार 841 सरकारी वकील बर्खास्त किए गए है। इससे इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर लखनऊ और जिला मुख्यालय तक हाहाकार मचा है। अपर महाधिवक्ता से लेकर ब्रीफ होल्डर तक बर्खास्त किए गए बताए जा रहे हैं । इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच में बर्खास्तगी हुई हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने 841 राज्य विधि अधिकारियों यानी सरकारी वकीलों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए सभी सरकारी वकीलों की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं। यह आदेश विधि एवं न्याय विभाग के विशेष सचिव निकुंज मित्तल की तरफ से जारी किया गया है।

इस आदेश के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ से 505 राज्य विधि अधिकारी और हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से 336 सरकारी वकीलों की छुट्टी कर दी गई है। शासन की तरफ से किए गए इस बदलाव में अपर महाधिवक्ता विनोद कांत भी हटाए गए हैं. इसके साथ ही प्रधान पीठ प्रयागराज में 26 अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता हटाए गए। 179 स्थाई अधिवक्ताओं की भी छुट्टी हुई. वहीं 111 ब्रीफ होल्डर सिविल की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। क्रिमिनल साइड के 141 ब्रीफ होल्डर हटाए गए हैं, जबकि 47 अपर शासकीय अधिवक्ताओं को बर्खास्त किया गया है।

लखनऊ बेंच के दो चीफ स्टैंडिंग काउंसिल की सेवाएं भी समाप्त कर दी गई हैं। यहां 33 एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट, क्रिमिनल साइड के 66 और 176 सिविल ब्रीफ होल्डर को तत्काल प्रभाव से हटाया गया है। 59 एडिशनल चीफ स्टैंडिंग काउंसिल और स्टैंडिंग काउंसिल की सेवाएं भी समाप्त कर दी ई हैं। हालांकि शासन से जारी किए गए लेटर में हटाए जाने की वजह का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

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