धन,पद, प्रतिष्ठा से नहीं बांधा जा सकता भगवान को: मिश्र
लव इंडिया, संभल। आज धर्मशाला मोहल्ला देर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिन श्री वली वामन प्रसंग, श्री रामचरित और श्री कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग सुनाया गया।जिसे सुनकर उपस्थित समस्त भक्त भाव विभोर हो गए ।
श्री धाम वृंदावन से पधारे कथा व्यास परम पूज्य श्री राम स्नेही मिश्र ने भगवान वामन अवतार प्रसंग सुनाते हुए कहा भगवान कि वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ तथा अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता और यह भी बताया कि यह धनसंपदा क्षणभंगुर होती है। इसलिए इस जीवन में परोपकार करों।
उन्होंने कहा कि अहंकार, गर्व, घृणा और ईष्र्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यदि हम संसार में पूरी तरह मोहग्रस्त और लिप्त रहते हुए सांसारिक जीवन जीते है तो हमारी सारी भक्ति एक दिखावा ही रह जाएगी। कथा के दौरान वामन अवतार की झांकी दिखाई गई और तेरे द्वार खड़ा भगवान भगत भर दे रे झोली भजन पर श्रद्घालु भाव विभोर हो उठे।
तदुपरांत व्यास जी ने कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग* व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को बेहद संजीदगी और भजन के साथ सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए।भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में नित्य ही माखन चोरी लीला करते हैं।
मां यशोदा के बार-बार समझाने पर भी श्रीकृष्ण नहीं मानते हैं तो मां यशोदा ने भगवान को रस्सी से बांधना चाहा पर भगवान को कौन बांध सकता है, लेकिन भगवान मां की दयनीय दशा को देखते हुए स्वयं बंध जाते हैं।इसलिए भगवान को न धन, पद व प्रतिष्ठा से नहीं बांध सकता। भगवान तो प्रेम से बंध जाते हैं। कथा प्रसंग के उपरांत व्यास गद्दी की आरती की गई और सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।
इस अवसर पर श्री मद्भागवत कथा प्रेमी मनोज गुप्ता, मीनू रस्तोगी, अंजू रस्तोगी, अवधेश गर्ग,किरन गर्ग, संगीता, सौरभ रस्तोगी, स्मृति रस्तोगी, श्याम शरण शर्मा,सुबोध गुप्ता, राजेन्द्र, विकास रस्तोगी, सुनीता यादव, सरिता गुप्ता, आशा गुप्ता आदि उपस्थित रहे। संचालन भरत ने किया।