The Bar Association & Library: काली पट्टी बांध कर प्रदर्शन, कहा-एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 को तुरंत वापस ले सरकार
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उमेश लव, लव इंडिया, मुरादाबाद। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के आह्वान पर मुरादाबाद के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे और दी बार एसोसिएशन एण्ड लाईब्रेरी के बैनर तले अधिवक्ताओं ने काली पट्टी बांधकर चैंबर-चैंबर जुलूस निकाला और जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया।
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इस दौरान, अध्यक्ष प्रदीप सिन्हा बबली और महासचिव अभिषेक भटनागर ने कहा कि विधि का शासन बनाये रखने के लिए निर्भीक एवं स्वतंत्र न्याय के तंत्र का होना अति आवश्यक है। अधिवक्ता न्याय के रथ का पहिया माना जाता है तथा उसे Officer of the Court का दर्जा प्राप्त होता है। बाबा साहब अंबेडकर ने संवैधानिक उपचारों को संविधान की आत्मा माना था। इन उपचारों की परिकल्पना अधिवक्ताओं के बगैर संभव नहीं है।
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अध्यक्ष प्रदीप सिन्हा बबली और महासचिव अभिषेक भटनागर ने कहा कि नीति-निर्देशक तत्वों में यह राज्य का कर्तव्य है कि वह व्यवस्थापिका को न्यायपालिका से अलग रखने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। ऐसा लगता है कि अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन संविधान के इसी आधारभूत संरचना पर हमला करने की नियत से लाये गए है। इस भयावह काले कानून के विरोध में पूरे देश के अधिवक्ता लामबंद हो गए है। यह संशोधन आम जनता की न्याय की आस को भी धूल धूसरित कर देगा। इसलिए न्यायहित व जनहित में अधिवक्ता व उनके परिवार के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का प्राविधान किया जाए।परिषदों में निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त कोई समाहित न किये जाए व उनके लोकतान्त्रिक स्वरुप को यथावत रखा जाये। परिषदों के सदस्यों या अस्तित्व पर सुझाये गए संशोधन को तुरंत समाप्त किया जाये।
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अध्यक्ष प्रदीप सिन्हा बबली और महासचिव अभिषेक भटनागर ने कहा कि पूरे प्रदेश के अधिवक्ता विशेषकर उत्तर प्रदेश बार कौंसिल व दि बार एसोसिएशन एण्ड लाइब्रेरी मुरादाबाद मांग करती है कि प्रदेश के अधिवक्ताओं का 10 लाख का मेडिक्लेम व किसी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर 10 लाख की बीमा राशि प्रदान की जाये। यह कि पंजीकरण के समय प्रत्येक अधिवक्ता से लिये जा रहे रुपये 500/- के स्टाम्प की राशि प्रादेशिक परिषदों को वापस की जाये व राज्य सरकार द्वारा विधिक स्टाम्प की बिक्री से प्राप्त धनराशी का 02 प्रतिशत अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया जाये, जैसा कि केरल सरकार द्वारा किया जा रहा है। नियम बनाने का अधिकार पूर्व में जो एडवोकेट्स एक्ट में प्राविधानित था, उसको उसी प्रकार रखा जाये। केंद्र सरकार द्वारा रेगुलेशन बनाने की जो बातें कही गयी हैं, उसे तुरन्त समाप्त किया जाये। साथ ही किसी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता न होने के कारण हम अधिवक्तागण एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल-2025 के पूरे संशोधन को निरस्त करते है।
अध्यक्ष प्रदीप सिन्हा बबली और महासचिव अभिषेक भटनागर ने कहा कि अतः हम पूरे प्रदेश के अधिवक्ता मांग करते है कि एडवोकेट अमेंडमेंट बिल-2025 को तुरंत वापस लिया जाये, अन्यथा अधिवक्तागण पूरे देश में इस लड़ाई का लड़ने की रणनीति बनाने पर बाध्य होंगे। आपसे अनुरोध है कि किसी भी वाद में विपरीत आदेश पारित न कर अधिवक्तओं का सहयोग करने की कृपा करें।
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इस दौरान, प्रदीप सिन्हा (बब्ली) अध्यक्ष, अभिषेक भटनागर
महासचिव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमाल अख्तर, उपाध्यक्ष बचन सिंह, मुजम्मिल खान, कोषाध्यक्ष त्रिलोक चन्द्र दिवाकर,
संयुक्त सचिव नवाज इन्तेजार, पुष्प कुमार यादव, जरीफ अहमद, सदस्य कार्यकारिणी (वरिष्ठ) में आदीश कुमार जैन, अरविन्द कुमार सक्सेना, बिजेन्द्र सिंह, राज कुमार गौतम, शरीफ अहमद, सैय्यद हुसैन हैदर नकवी, सदस्य कार्यकारिणी (कनिष्ठ) मयंक शर्मा, मौहम्मद तालिब, मुफाहिद अली, शाईस्ता परवीन, सुगन्धा सैनी, तारा सिंह, पदेन सदस्य अगोक कुमार सक्सैना (पूर्व अध्यक्ष) व अभय कुमार सिंह (पूर्व महासचिव) आदि मौजूद रहे।