बुझा दे हवा मेरा चिराग इतनी जरूरत तेरी अभी तो नहीं…पर लूटी वाहवाही


लव इंडिया, संभल। बज्मे तरब सम्भल के तत्वावधान में एक तरही मुशायरा शायर निजाम उद्दीन खान निजाम सम्भली के मकान पर आयोजित किया गया। जिसमें शहर के शायरों ने अपनी तरही कलाम पेश कर वाहवाही लूटी। मुशायरा की अध्यक्षता संयुक्त रूप से नवाब शुजा अनवर तथा मशहूद अली फारूकी ने की। जबकि संचालन हकीम बुरहान सम्भली किया।


मुशायरा का आकाज़ हकीम बुरहान सम्भली द्वारा तिलावते कलाम पाक से किया गया। इसके बाद नौशाद सम्भली ने नाते पाक पेश की। तरही मुशायरा का आकाज करते हुए उनवान संभली ने कहा जिसकी धुन पर थिरक रही हो तुम वह कहीं मेरी बांसुरी तो नहीं।

डॉक्टर अजीजल्लाह खान ने कहा बुझा दे हवा मेरा चिराग इतनी जरूरत तेरी अभी तो नहीं। मास्टर वसीम अख्तर ने कहा हिचकियां आ रही हैं क्यों आ रही हैं मुझको, कहीं वह कहीं मुझको सोचती तो नहीं। बदर जहां खुर्शीद ने कहा मैं सितम का तेरे गिला करती, यह इजाजत वफा ने दी तो है नहीं।

फहीम साकिब ने कहा मयकशी नाम है तसफ्फुफर का, जाम पीना ही मयकशी तो नहीं। नौशाद सम्भली ने कहा जी रहे हो जिसे मुतावातिर, वे कहीं मेरी जिंदगी तो नहीं। निजाम सम्भली ने कहा फूल होने का तो सवाल भी क्या, तेरे दामन में खैर भी तो नहीं। मुजाहिद नादान ने कहा हम तुझे याद रहते हैं, अब कोई और काम भी तो नहीं।

हकीम बुरहान सम्भली ने कहा हक बयानी से रोकती है तुझे, यह कहीं तेरी बुजदिली तो नहीं। इंतेखाब सम्भली ने कहा लोग बेहतर भी हैं जमाने में, अभी इंसानियत मरी तो नहीं। नवाब शुजा अनवर ने कहा कोई भी उसे आगही तो नहीं, फिर भी लगता है अजनबी तो नहीं। मैं गिरा तो यह सिर्फ मां ने कहा, चोट कहीं बेटा लगी तो नहीं।

उस्मान अंसारी सम्भली आईना रख के रूबरू अपने, खुद में खुद में देखों कोई कमी तो नहीं। उनके दर पर जो सर झुके हुए हैं, यह अकीकत है बंदगी तो नहीं। मुशायरे में इसके अतिरिक्त अजमत उल्लाह खान ने कहा वह भी पत्थर का हो गया शायद, उसकी आंखों में अब नमी तो नहीं।

देर रात तक चले मुशायरे में हाफिज फरमान, बॉबी, नवाब पप्पन, मास्टर आफताब, समन साहिल, अरशद, मशहूद अली फारूकी एडवोकेट, अनस मजीद, सुहैल अनवर आदि उपस्थित रहे।

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