Maha Kumbh की आड़ में साइबर ठगी का नया जाल: हाईकोर्ट डिप्टी एडवोकेट जनरल भी बने शिकार

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में साइबर ठगों द्वारा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। हाईकोर्ट के डिप्टी एडवोकेट जनरल सुनील काले और विनय पांडेय महाकुंभ के दौरान कॉटेज बुकिंग के लिए फर्जी वेबसाइट के झांसे में आ गए।

कैसे हुई ठगी…?


महाकुंभ में शामिल होने की योजना बनाते हुए, दोनों एडवोकेट जनरल ने गूगल पर कॉटेज बुकिंग के लिए सर्च किया। एक फर्जी वेबसाइट पर भरोसा करते हुए, उन्होंने ₹69,000 का भुगतान ऑनलाइन कर दिया। भुगतान के बाद, जब उन्होंने बुकिंग कन्फर्म करने की कोशिश की, तो पता चला कि उनके नाम से कोई बुकिंग ही नहीं हुई। यह रकम सीधे ठगों के फर्जी खाते में चली गई।

महाकुंभ के नाम पर बढ़ रही साइबर ठगी


महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के दौरान श्रद्धालुओं को निशाना बनाने के लिए ठगों ने नई रणनीतियां अपनाई हैं:

फर्जी वेबसाइटों का निर्माण


गूगल सर्च के माध्यम से नकली कस्टमर केयर नंबर।
डिजिटल अरेस्ट और फर्जी पहचान का इस्तेमाल।
महाकुंभ से मिलते-जुलते नामों का उपयोग कर ठगी।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ जय प्रकाश सिंह के सुझाव

1- UPI पेमेंट करते समय सतर्क रहें: भुगतान करते समय नाम की जांच करें। महाकुंभ जैसे नामों से मिलते-जुलते UPI IDs को तुरंत पहचानें और सतर्क रहें।
2- गूगल सर्च का सही इस्तेमाल करें: किसी भी कस्टमर केयर या बुकिंग नंबर के लिए अधिकृत वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें।
3- ठगी का शिकार होने पर तुरंत शिकायत करें:
महाकुंभ हेल्पलाइन 1920 पर संपर्क करें।
साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।
Cybercrime.gov.in पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।

फर्जी वेबसाइट से बचें

बुकिंग या भुगतान के लिए केवल सरकारी या विश्वसनीय प्लेटफॉर्म का उपयोग करें।


सतर्कता ही सुरक्षा है..


महाकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान श्रद्धालुओं को अतिरिक्त सतर्क रहने की आवश्यकता है। ठगी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए, सभी को जागरूक और सतर्क रहना चाहिए।

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