विदेश मंत्री बोले- जहां वैश्वीकरण का पुराना मंत्र अब भी प्रचलित, वहां राष्ट्रवाद एक बुरा शब्द
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक मामलों को आकार देने में बढ़ते राष्ट्रवाद की भूमिका को पहचाना जाना चाहिए। दुनिया के उन हिस्सों में जहां वैश्वीकरण का पुराना मंत्र अभी भी प्रचलित है, वहां राष्ट्रवाद एक बुरा शब्द है। लेकिन सच्चाई यह है कि वे उन कई विकसित समाजों में निराशा को दर्शाते हैं, जहां गलत भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक विकल्पों से जीवन की गुणवत्ता खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में दुनिया काफी अधिक राष्ट्रवादी होगी। इसलिए जरूरी है कि भारत वैश्विक घटनाक्रमों का मूल्यांकन करे और इसके लाभों की गणना करे। नई दिल्ली में वायु शक्ति अध्ययन केंद्र में सातवें जसजीत सिंह स्मृति व्याख्यान में जयशंकर ने कहा, “मैं इस बात से सहमत हूं कि जापान के साथ व्यापार बढ़ाने की गुंजाइश है। हमारा 2027 तक पांच ट्रिलियन येन का लक्ष्य है। लक्ष्य के आधे रास्ते पर हैं। भू-अर्थशास्त्र में बदलाव के साथ हमें जापान के साथ और अधिक मेहनत करनी होगी। जापान के लोग समझते हैं कि उन्हें भारत के साथ काम करना है और हमारे हित समान हैं।” विदेश मंत्री ने कहा, अमेरिका के साथ संबंध किसी भी अन्य संबंध से अधिक हैं। यह संबंध बदलती दुनिया के गवाह हैं। हमारे बीच मुद्दे हैं। हमारे बीच मतभेद हैं। लेकिन हम लगातार बाजार की उम्मीदों पर खरा उतर रहे हैं, क्योंकि बाार लगातार हमारे पीछे हैं।